*आँसू छिपाती उम्र-भर औरत 【गीतिका 】*
आँसू छिपाती उम्र-भर औरत 【गीतिका 】
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(1)
न दीखे आँख का आँसू छिपाती उम्र-भर औरत
हमेशा खुशनुमा खुद को दिखाती उम्र-भर औरत
( 2 )
न मर्दों के अहम को ठेस पहुँचे इसलिए ही बस
बहस में जीत कर भी हार जाती उम्र-भर औरत
( 3 )
सुबह से शाम तक दफ्तर में मर-खपकर कमाती है
मगर घर लौटकर खाना पकाती उम्र-भर औरत
(4)
कभी बेटी कभी पत्नी कभी माँ तो बनी लेकिन
न खुद का नाम दुनिया को बताती उम्र-भर औरत
(5)
जो तबला छोड़ आई थी कभी मैके उसी को ही
गुसलखाने में रो- रोकर बजाती उम्र-भर औरत
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451