आँगन में पंचवटी
सड़क से व दूर से जब मित्र, प्रियजन अथवा परिजन मेरे घर को देखते हैं, तो वे मुझे कोसते हैं और कहते हैं…. जंगल के बीच रहते हो ! गंदगियों के बीच रहते हो ! ‘सतपुड़ा का जंगल’ कविता आपने पढ़ा है ! कीचड़युक्त वह जंगल है !
घर के मेरे आँगन में 100 से भी अधिक प्रकार के पेड़, पौधे, पुष्प-पौध, लत्तियाँ हैं । ये सभी व्यवस्थित नहीं, बेतरतीब हैं, किन्तु पर्यावरण-संधि का ख्याल रखा गया है ।
स्वच्छता का यह मतलब नहीं कि आप पेड़-पौधों को उखाड़ फेंको! जब घर में अनार, कटहल, अमरूद, चंदन, सिमल, गूलर, गमहार, नीम, नारियल, केला, तुलसी, हरवाकस, खजूर, संझा फूल, खमरालु इत्यादि को एकसाथ देखता हूँ, तो मेरा मन बाग-बाग हो जाता है !