अहसासों से भर जाता हूं।
आदाब बजा लाता हूं।
जब पापा के पास आता हूं।।
मुस्तकबिल सजा लेता हुं।
जब पापा के साथ जाता हुं।।
कुछ गम मिटा लेता हूं।
जब पापा को सब बता देता हूं।।
शोहरत कमा लेता हुं।
जब पापा का नाम बता देता हुं।।
हर फिक्र से उठ जाता हूं।
जब पापा को दोस्त बना लेता हूं।।
अहसांसों से भर जाता हूं।
जब पापा को खुदके संग मैं पाता हूं।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ