असली मालिक आज चौकीदार से मिलने आये हैं,
असली मालिक आज राजधानी आए हैं,
चौकीदार से अपना हिसाब मांगने आए हैं,
जो चीख़ते थे बुलाना किसी चौराहे पे एक दिन,
चौराहा आज उनके दरवाज़े पे ले के आए हैं,
असली मालिक आज आज राजधानी आए हैं,
चाय की चुस्कियों और मन की बात लेके आये हैं,
हर झूठे बादे का हिसाब गिनाने आए हैं
असली मालिक आज चौकीदार से मिलने आये हैं,
अपने हिस्से का हर हिसाब मांगने आए हैं,
हथेलियों पे अपनी सरसों उगाने आए है,
चौकीदार से अपना हिसाब फ़रियाने आए हैं,
बैल दुहना मुश्किल तो है, पर इस बार,
बैल को दुधारू गाय बनाने आए हैं ,
इस बार मालिक ज़बाब मांगने आए हैं,
साढ़े चार सालों का हर हिसाब मांगने आये हैं,
फ़टी है पोटली पर बही -खाता साथ लाए हैं,
अपनी बेबसी को हथियार बना के लाए हैं,
असली मालिक आज राजधानी आए हैं,
पैरों के नीचे की ज़मीन हिलाने आए हैं,
अपने पदचापों से सरकार डिगाने आए हैं,
***
01 /12 /2018
[मुग्द्धा सिद्धार्थ ]