असली पंडित नकली पंडित / MUSAFIR BAITHA
एक कमजोर काया के धनी सज्जन से
बात करते गजनुमा काया के मालिक
तद्धर्मा व्यक्ति के श्रीमुख से
कार्यालय में ही एक दिन
बात बात में निकल गई यह बात-
“तुम पंडित हो मगर नाम के ही
अलबत्त, किसी काम के नहीं
संस्कृत के दो श्लोक भी याद हैं तुम्हें!”
जात भाई से मिले इस धिक्कार-वचन पर
कमजोर कायाधारी का शौर्य ताव खाया
पहले तो उस सिकिया पहलवान ने अपना नथुना फुलाया
और फिर मेरी तरफ अपनी गर्दन घुमा कर
खिसियानी बिल्ली सा खंभा नोंच दिखाया –
“मैं पंडित नहीं तो शूद्र हूं क्या?”
यह सुन भारी देहधारी की काया जुराई
कि चलो पंडिती ज्ञान न ही सही
पंडितपन तो इसमें है पूरा बाकी!