अश्क़ आँखों में तू छिपाये क्यों
अश्क़ आँखों में तू छिपाये क्यों
आग सीने में यूँ दबाए क्यों
जब तलक दुश्मनी ये ज़ाहिर हो
तब तलक दोस्ती निभाए क्यों
ये तो दस्तूर है ज़माने का
यार रूठा था तो मनाए क्यों
मिल ही जाएगी तुझको मंज़िल भी
दिल में तूफ़ान तू उठाए क्यों
तू महावीर जब रहे तनहा
दिल में इक शोर-सा मचाए क्यों