अवसान
अशांत हृदय, दिग्भ्रामक आयाम,
उद्विग्न मन,
प्राकृतिक आपदा, युद्ध की विभीषिका ,
मानवता का हनन् ,
निरीह उत्पीड़ित संघर्षरत् मानव,
छल -कपट एवं छद्म का वर्चस्व,
लुप्तप्रायः धैर्य एवं साहस,
संस्कार -आदर्श एवं सदाचार,
विनाशकारी प्रवृत्ति एवं प्रकृति ,
स्तरहीन पशुवत् व्यवहार ,
चारित्रिक हनन् , अनाचार,
धर्माधंता का प्रचार एवं प्रसार,
निरंकुश शासन व्यवस्था ,
नीति एवं न्याय की दुर्दशा ,
देशद्रोही एवं राष्ट्रविखंडनकारी शक्तियों की उत्पति ,
किंकर्तव्यविमूढ़ विपरीत परिस्थिति ,
क्या यह इस सृष्टि में प्रलय का
पूर्वाभास है ?
या इस कलियुग में जीवन के अवसान का
प्रथम भाग है ?