Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jun 2022 · 9 min read

अल्फाज़ ए ताज भाग-3

1.

शायद तुमनें भी हमको गलत समझ लिया है यूँ ज़मानें की तरह।
ज़रा सी चूक क्या हुई बदनाम हो गए हम शोहरत पानें की ज़गह।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

2.

रूह को कैसे सजाओगे तुम अपने चेहरे की तरह।
सीरत नहीं है मिलती यूँ बाज़ार में चीज़ों की तरह।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

3.

आपका दामन पाक साफ है यह हम अच्छे से जानते है।
पर दिखता है जो नज़रों से ज़मानें में वही सब मानते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

4.

बहार ए सबा से यूँ पता चला है हमको कि तू आया है।
तेरे बदन की खुशबू को मेरा दिल आज भी जानता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

5.

ऐ खुदा कर दे कोई तो करम हमारी ज़िन्दगी पर।
कब तक पहनूँ ज़िल्लतों का सेहरा अपने सर पर।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

6.

हमारा बस अबतो एक ही काम है,
इश्क़ ही करना सुबह और शाम है।
क्या समझाऊं दिल ए नादान को,
ये बस केवल उन पर ही कुर्बान है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

7.

कुछ अच्छा हो तो होती शराब है,
हो कुछ गलत तो भी ये शराब है।
हो खुशी या गम इस ज़िन्दगी में,
अब तो हरपल में होती शराब है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

8.

मोहब्बत की हर बात हमें याद है,
आपके अंदर ना कोई जज्बात है।
अब जीलो आप अपनी जिन्दगी,
कोईं ना आपसे सवाल जवाब है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

9.

नकाब को चेहरे से हटाने की रात आई है,
घुघट में यूँ चाँद को देखने की रात आई है।
वो आये है इस महफिल में चांदनी लेकर,
रोशनी में नहा कर यूँ कद्र ए शाम आई है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

10.

आकर के हमारी मय्यत पर वह रो रहे है।
कोई बता दे उनको हम सुकूँ से सो रहे है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

11.

चंद लम्हें उधार लेकर ज़िन्दगी से हम आये है यूँ तुमसे मिलने को।
सुन लो हमारी बातों को वर्ना मजबूर हो जाओगे तन्हा रहने को।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

12.

इतनी भी यूँ बेवज़ह की नफ़रत अच्छी नहीं बाद में पछताओगे।
कर लो साफ अपने दिल का वहम वर्ना हस्र में नज़रे चुराओगे।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

13.

यूँ कब तलक हमारी इज्जत को दूसरों के सामनें गिराओगे।
गर गए जो हम तुमसे दूर तो ज़िन्दगी भर हमको ना पाओगे।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

14.

बस इक मुलाकात कर लो अपनी मोहब्बत की ख़ातिर।
वर्ना बाद में हमारी मय्यत पर नज़रों से अश्क़ ही बहाओगे।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

15.

बदनाम होकर तुम्हारी ज़िन्दगी से हम चले जाएंगें।
हम तो वैसे भी थे बेकार अब थोड़ा औऱ हो जाएंगे।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

16.

सौदा क्या करें हम तुमसे अपनी यूँ मोहब्बतों का।
हमने जीनें का सलीका सीख लिया है गुरबतों का।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

17.

इससे तो अच्छा होता मार देते तुम हमको किसी बहाने से।
मर गए है हम मेरे दुश्मन के संग तेरी ज़िन्दगी
गुज़ारनें से।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

18.

जाओ जाकर हँसाओ उस बच्चे को जो रोता है।
काम है ये इबादत का गर वो तुमसे हंस देता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

19.

मय्यत हो किसी की जाओ,इसमें दुश्मनी,दोस्ती ना देखी जाती है।
मरने के बाद ज़िन्दगी कहाँ किसी की इस दुनियां में रह जाती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

20.

खिलौना बनकर रह गए है हमतो तुम्हारी यूँ मोहब्बत में।
आना है हमको बस तुम्हारे काम तुम्हारी हर ज़रूरत में।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

21.

आदमी की पहचान होती है उसकी कमाई से।
औरत जानी जाती है घर की साफ सफाई से।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

22.

सफ़र में हम इक तेरे ही घर के मोड़ को ढूढ़तें है।
यह मोड़ ही है जो घरों को सड़को से जोड़ते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

23.

तुमतो गए हो जाने क्यों हमको छोड़कर।
रहेंगे कैसे हम तुम से रिश्तों को तोड़कर।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

24.

बड़े ही कच्चे होते है हमारी दुनियाँ के रिश्ते।
आनें ना देना इनमें शक हो कितने भी सच्चे।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

25.

थाम लो दामन मेरा तुम अपना बनकर,
मैनें की है मोहब्बत तुम्हें सबसे बढ़कर।
ख्याल ना कर इन पत्थर दिल लोगो का,
शामिल हो जा मुझमें दिले जान बनकर।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

26.

यूँ सबकी ही नजरों में गिर गए है।
ज़िंदा होते हुए भी हम मर गए है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

27.

कश्ती को किनारे का साहिल ना मिला,
ज़िंदगी को मुकाम-ए-हासिल ना मिला।
जानें किसने क्यूँ किया यूँ कत्ल हमारा,
हर रिश्ते में ढूंढा पर कातिल ना मिला।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

28.

ज्यादा रोशनी भी आदमी को अंधा बना देती है।
बे इन्तिहा खूबसूरती गरीब की धंधा करा देती है।।
ऐ खुदा मत देना मेरी औकात से ज्यादा मुझको।
ये दौलत इन्सानी फितरत को गन्दा बना देती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

29.

चलों कराते है माँ से अपने लिए दुआ।
शायद खुश हो जाये यूँ हमसे भी खुदा।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

30.

ऊपर वाला किस-किस के पास जाता।
इसीलिए माँ को उसने सबके पास भेजा।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

31.

रुक जा काफ़िर ज़रा कर ले हम इबादत।
वक्त-ए-नमाज़ है और मस्ज़िद भी पास है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

32.

आज और आनें वाले कल को तू बदल सकता है ये बात है सही।
पर बीते हुए कल का क्या करेगा इंसान जो बदलता नही कभी।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

33.

कभी हम भी होते थे महफिलों की जान।
आज खाली पड़े इक मकाँ से हो गए है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

35.

मिलना होगा हमारा किस्मत में तो मिल ही जाएंगे।
वर्ना कौन लड़ा है इस किस्मत जो हम लड़ पाएंगे।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

36.

तुम खुद ही ज़िल्लत दे देते हमको तो होती कोई भी बात नहीं।
पर घर की इज्जत को यूँ सरे बाजार ले आए अच्छी बात नहीं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

37.

मिलना होगा गर किस्मत में हमारा तो मिल ही जाएंगे।
वरना कौन जीता है इस किस्मत जो हम जीत पाएंगे।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

38.

कोई कैसे अपने दिल को मोहब्बत से दूर रखे।
जब तुम्हारे जैसा नूर ए जन्नत हो पास उसके।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

39.

समन्दर से क्या पूंछना उसकी गहराई का।
आशिक से क्या पूंछना इश्के रुसवाई का।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

40.

आज पड़ोस के घर के दृश्य ने मन मेरा बड़ा द्रवित कर दिया है।
सारे पुत्रों ने मिलकर मात-पिता को उनके ही घर से बहिष्कृत कर दिया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

41.

कभी-कभी यह तोहमतें भी नाम करती है।
वो और बात है कि ज्यादातर बदनाम करती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

42.

कैसे रहते हो मोहब्बत में इतने चुपचुप से।
इस इश्क़ में तो बातें करने को तमाम रहती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

43.

हर कोई फ़िदा है उसकी इस सादगी पर।
आदतें उसकी तो मज़हब-ए-इस्लाम लगती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

44.

जानें क्या मोजिज़ा है उसकी आवाज़ में।
उसकी बातें ही अब सब को क़लाम लगती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

45.

जितनी भी बीती है अच्छी बीती है गिला क्या करें।
मरने वाले से यूँ उसकी गुज़री हुई जिंदगी ना पूंछों।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

46.

बारिश को ताकती रहती है जानें कब से वो दो आँखें।
हर रोज ही दुआएँ करती है खुदा से फैली वो दो बाहें।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

47.

हो किस्मत वाले यूँ कि छत है तुम्हारें सर पर।
वर्ना यहां फुटपाथ पर ही ज़िंदगियाँ तमाम सोती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

48.

ये रियासतें है रियासतें किसी की ना होती है।
आज किसी के नाम तो कल किसी के नाम होती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

49.

कमबख्त दिल को कौन समझाए ये उनको ही चाहता है।
जो ज़िन्दगी में हर वक्त ही बस मेरे मरनें की दुआ मांगता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

50.

दहलीज़ से निकली इज़्ज़त ना वापस आती है।
हाँ उस घर की औरत सीता जरूर बन जाती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

51

रहम ना आया मुझ पर तुझको,
ऐ मेरे खुदा !!
इतनें गम कम थे मेरी ज़िंदगी में
जो तूने इक और दे दिया !!

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

52.

वक्त मलहम है यूँ तो हर ज़ख्म के लिए।
क्या हुआ गर ऐसे दूर वह हमसे हो गये है।।
इतना भी वो हमको यूँ याद आतें नहीं है।
जो अब ज़िंदगी के गुज़रे पल से हो गये है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

53.

आवाम में उनका कद देखो जानें कितना बढ़ गया है।
सियासत का हर सेहरा अब उनके सर पे बंध गया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

54.

देखो तो ज़ुल्म हो गया है,
सुना है उनको भी गम हो गया है।
जियेगा वह अब यूँ कैसे,
दूर उसका इश्के सनम हो गया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

55.

हम खुश ही कब थे जो अब गम में है।
पहले भी गम में थे अभी भी गम में है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

56.

नज़रें झुकाने की तुमको ज़रूरत नहीं हम जानतें है सब।
जाओ जी लो यह ज़िंदगी गर तुमको सनम मिल गया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

57.

कब तक करता वह तेरा इंतज़ार यूँ इश्क और मोहब्बत में।
खबर लगी है कि उसकी शादी का आज शगुन हो गया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

58.

कोई तो बताये कि दिखती कैसी है खुदा की निशानियां।।
क्योंकि हमें तो ना मिली है अभी तक उसकी मेहरबानियां।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

69.

वह मांगता नहीं तेरे पैसों से खरीदी हुई खुशियों को।।
गर थोड़ा वक्त है तुम्हारे पास तो दे दो उसको जीने को।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

70.

रोना ना तुम गर हम अपने घर कफ़न में आएं,
समझ लेना वो सब कुछ जो हम कह ना पाएं।
मांगीं थी खुदा से चन्द दिनों की और ज़िन्दगी,
पर मुकर्रर है मालिकुल मौत जो वक्त पे आएं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

71.

पड़ा हूँ यूँ दुनियाँ की भाग दौड़ में…
जानें मेरा इश्क मुकम्मल होगा भी या नहीं।।
चाहतें तो हम भी बहुत है उसको…
पर पता ना हमें उसको पता है भी या नहीं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

72.

शार्तियाँ निकाह करके वो यूँ रहनुमां बन गया है उसकी ज़िन्दगी का।
ऐसे भी अमीर उड़ाता है मज़ाक दुनियाँ में गरीब की गरीबी का।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

73.

मौत ने की हमसे साज़िश वो बिन बताये ही आ गयी।।
ज़िन्दगी भी मेरी कुछ कम ना थी बताकर ही ना गयी।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

74.

कैसे रहेगा तुर्बत के इस छोटे से घर में…,
शिकायत किससे करेगा तेरे चाहने वालों ने ही बनाया है।
दुनियाँ में जीते जी है सारे शिकवे गिलें…,
खत्म हो गया है तेरा वजूद जबसे ही तू कब्र में आया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

75.

मुझ पर ऐसे हंसना बताता है तेरा होना अमीरी का !!
पर यूँ भी मजाक ना उड़ाते है किसी की गरीबी का !!

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

76.

चन्द दिनों का मेहमान है वह दुनियाँ में ज़िन्दगी का।।
मिलके उसको अहसास करा दे अपनों की करीबी का।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

77.

मुझ पे यूँ ऐसे ही हंसना बताता है तेरा होना ही अमीरी का !!
पर यूँ मजाक ना उड़ाते है किसी गरीब भी की गरीबी का !!!

चंद दिनों का मेहमाँ है वह यूँ तो इस दुनियाँ में ज़िन्दगी का !!
मिलकर उससे यूँ अहसास करा दो अपनों की करीबी का !!!

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

78.

मोहब्बत का जब नगमा बन जाता है।।
यूँ फिर इश्क़ भी कलमा बन जाता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

79.

तेरे होने का अहसास कराती है सबा !!
तेरा पायाम लेकर यूँ आती है ये हवा !!

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

80.

यूँ भी लोग यहां इश्क़ में सजा देते है !!
जब वो हमारे अकीदे को तोड़ देते है !!

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

81.

ये नज़रें भी ज़िन्दगी को तबाह करती है !!
कमबख्त मोहब्बत का आगाज़ करती है !!

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

82.

अगर लग जाती शबनम को इश्क़ की बीमारी !!
तो ये दुनियाँ डूब जाती इसके अश्को में सारी !!

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

83.

हर किसी के हाथ में मेहंदी का लाल रंग कहाँ चढ़ता है।।
कुछ हथेलियां ऐसी होती है जिनमें खुदा कुछ ना लिखता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

84.

अम्मा नें आज हमको बुलाया है।।
मुद्दतों बाद घर को अपने जाना है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

85.

ज़िन्दगी जीना यहां बस इक फंसाना है।
आज जो नया है तो कल वह पुराना है।।

आओ मिटा दे दिलों से नफरतों के दाग।
मुश्किल किसी का एक सा रह पाना है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

86.

क़िस्मत से लड़कर कौन जीता है जो अब हम जीत जाएंगे।।
यह बस खुदा ही जानें ज़िन्दगी में हम क्या खोये क्या पाएंगे।।

ऐसा ना हो कल को और वक्त ना मिल पाए हमें जीने के लिए।।
गर गए जो तुर्बत में तो चाहकर भी तुमसे हम मिल ना पाएंगें।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

87.

ना इज़हार करना है ना इनकार करना है।।
हमें तो बस तुमको उम्र भर प्यार करना है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

88.

मोहब्बत जब होती है तो सारी ही उस्तादी चली जाती है।।
बेहुनर हो जाता है इंसां जो ये जुनूने हद से गुजर जाती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

89.

कितना लिखा गया है ना जाने कितना और लिखा जा रहा है।।
यह इश्क़ है जनाब कभी किसी से मुकम्मल
ना लिखा जाएगा।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

90.

लो मान ली हमनें तुमसे अपनी सारी की सारी ही यूँ गल्तियां।।
चलो अब करो हमसे पहले वाली मोहब्बत जैसे
किया करते थे।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

91.

जैसी भी है जितनी भी है इज्जत है हमारी।।
ना हो गर पसंद तुम्हें तो दूसरा घर देख लो।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

92.

हर ज़िन्दगी में दिक्कतों का आना बदस्तूर जारी है।।
फिर भी लोगो को लगता है ये ज़िन्दगी बड़ी प्यारी है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

93.

बात ना करो हमसे यूँ किताबों की तरह।।
अभी हम ज़िंदा है जहां में इंसानों की तरह।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

94.

ज़िन्दगी की क्या करना भरोसा जब मौत को आना है।
आज हम आये है यूँ तुर्बत में कल तुमको भी
आना है।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

95.

बन गया है वह मसीहा जब से बुराई से लड़ गया है।
पाकर के उसको गरीबों का भी हौसला बढ़ गया है।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

96.

उसने कहा कि हमनें थोड़ी सी शराब पी है।।
शराब तो शराब होती है ये कम ज्यादा ना होती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

97.

खुद को मारकर खुद के ही क़ातिल बन गए है।।
वो देखो खुदा से रूठकर यूँ काफ़िर बन गए है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

98.

कहते है मोहब्बत ज़िन्दगी का खूबसूरत तोहफा है।।
फिर क्यूँ हर किसी को अक्सर इसमें मिलता धोखा है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

99.

हमनें दीवार की दरारों से देखा है।।
क़ातिल तुम्हारा चेहरा है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

100.

तुम जी रहे थे ज़िन्दगी आगे की।
हम जी रहे थे ये आज अभी की।।

अब बताओ जरा हमको तुम ही।
किसने यहां पे सही ज़िन्दगी जी।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 2 Comments · 187 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कब मैंने चाहा सजन
कब मैंने चाहा सजन
लक्ष्मी सिंह
आधुनिक युग में हम सभी जानते हैं।
आधुनिक युग में हम सभी जानते हैं।
Neeraj Agarwal
ख्वाब दिखाती हसरतें ,
ख्वाब दिखाती हसरतें ,
sushil sarna
■ अवतरण पर्व
■ अवतरण पर्व
*Author प्रणय प्रभात*
बहाना मिल जाए
बहाना मिल जाए
Srishty Bansal
ई-संपादक
ई-संपादक
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वर्षा रानी⛈️
वर्षा रानी⛈️
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
प्रणय 2
प्रणय 2
Ankita Patel
मेरी तू  रूह  में  बसती  है
मेरी तू रूह में बसती है
डॉ. दीपक मेवाती
🍂🍂🍂🍂*अपना गुरुकुल*🍂🍂🍂🍂
🍂🍂🍂🍂*अपना गुरुकुल*🍂🍂🍂🍂
Dr. Vaishali Verma
कलियुग
कलियुग
Prakash Chandra
आत्मीयकरण-2 +रमेशराज
आत्मीयकरण-2 +रमेशराज
कवि रमेशराज
कांटा
कांटा
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
तू गीत ग़ज़ल उन्वान प्रिय।
तू गीत ग़ज़ल उन्वान प्रिय।
Neelam Sharma
इंद्रदेव की बेरुखी
इंद्रदेव की बेरुखी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अब तलक तुमको
अब तलक तुमको
Dr fauzia Naseem shad
رام کے نام کی سب کو یہ دہائی دینگے
رام کے نام کی سب کو یہ دہائی دینگے
अरशद रसूल बदायूंनी
करीब हो तुम किसी के भी,
करीब हो तुम किसी के भी,
manjula chauhan
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
प्रेत बाधा एव वास्तु -ज्योतिषीय शोध लेख
प्रेत बाधा एव वास्तु -ज्योतिषीय शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अब इस मुकाम पर आकर
अब इस मुकाम पर आकर
shabina. Naaz
अहंकार का एटम
अहंकार का एटम
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
जब  भी  तू  मेरे  दरमियाँ  आती  है
जब भी तू मेरे दरमियाँ आती है
Bhupendra Rawat
नफ़रत की आग
नफ़रत की आग
Shekhar Chandra Mitra
चंदा मामा (बाल कविता)
चंदा मामा (बाल कविता)
Ravi Prakash
"राज़-ए-इश्क़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"काला पानी"
Dr. Kishan tandon kranti
लिखना चाहूँ  अपनी बातें ,  कोई नहीं इसको पढ़ता है ! बातें कह
लिखना चाहूँ अपनी बातें , कोई नहीं इसको पढ़ता है ! बातें कह
DrLakshman Jha Parimal
लम्हा-लम्हा
लम्हा-लम्हा
Surinder blackpen
Loading...