Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2023 · 1 min read

अलसाई आँखे

इन अलसाई आँखों से कह दो
अब सोने का वक्त खत्म हुआ
कर्म प्रधान इस दुनियां में अब
सोते रहने का वक्त ख़त्म हुआ
प्रभात के प्रहरी अब मिल सब
नव दिवस का आराधन वंदन करते है
तब तू क्यू प्राणी अपने बिस्तर कर
इन अलसाई आँखों को मसला करते हो
पंछी अपने घोंसले से पशु भीअपने बाड़े से
जलचर -नभचर जल में नभ में
विचरण करने को करने को निकल पड़े
आप अभी भी इस करवट से उस करवट
तकिया लेकर बस सिमट पड़े
अब इन अलसाई आँखों को कह दो
दिनकर का उठकर रसपान करे
थोड़ी सी साफ़ सफाई कर अपनी
निज भगवन का गुणगान करे

डॉ एल के मिश्रा

2 Likes · 247 Views

You may also like these posts

जर जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
जर जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
सत्य कुमार प्रेमी
मुक्तक
मुक्तक
Suryakant Dwivedi
नैतिकता की हो गई,हदें और भी दूर
नैतिकता की हो गई,हदें और भी दूर
RAMESH SHARMA
2690.*पूर्णिका*
2690.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यादों के तराने
यादों के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कौन सुनेगा बात हमारी
कौन सुनेगा बात हमारी
Surinder blackpen
तकनीकी की दुनिया में संवेदना
तकनीकी की दुनिया में संवेदना
Dr. Vaishali Verma
जीवन
जीवन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
किस क़दर बेकार है
किस क़दर बेकार है
हिमांशु Kulshrestha
" हो सके तो किसी के दामन पर दाग न लगाना ;
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
भावहीन
भावहीन
Shweta Soni
चन्द्रयान तीन क्षितिज के पार🙏
चन्द्रयान तीन क्षितिज के पार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
#दोहा-
#दोहा-
*प्रणय*
* मन में कोई बात न रखना *
* मन में कोई बात न रखना *
surenderpal vaidya
लड़ी अवंती देश की खातिर
लड़ी अवंती देश की खातिर
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
गर्मी
गर्मी
Dhirendra Singh
दोहा पंचक. . . . माटी
दोहा पंचक. . . . माटी
sushil sarna
प्रार्थना
प्रार्थना
राकेश पाठक कठारा
कितना प्यारा कितना पावन
कितना प्यारा कितना पावन
जगदीश लववंशी
तुम अपने माता से,
तुम अपने माता से,
Bindesh kumar jha
*सब जग में सिरमौर हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम (गीत)*
*सब जग में सिरमौर हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम (गीत)*
Ravi Prakash
बोलो क्या कहना है बोलो !!
बोलो क्या कहना है बोलो !!
Ramswaroop Dinkar
संस्कृति
संस्कृति
Abhijeet
कलम मेरी साथिन
कलम मेरी साथिन
Chitra Bisht
*नींद आँखों में  ख़ास आती नहीं*
*नींद आँखों में ख़ास आती नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मां चंद्रघंटा
मां चंद्रघंटा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मैं हूँ आज यहाँ दूर
मैं हूँ आज यहाँ दूर
gurudeenverma198
" राजनीति "
Dr. Kishan tandon kranti
बहुत फर्क  पड़ता  है यूँ जीने में।
बहुत फर्क पड़ता है यूँ जीने में।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Loading...