अलसाई आँखे
इन अलसाई आँखों से कह दो
अब सोने का वक्त खत्म हुआ
कर्म प्रधान इस दुनियां में अब
सोते रहने का वक्त ख़त्म हुआ
प्रभात के प्रहरी अब मिल सब
नव दिवस का आराधन वंदन करते है
तब तू क्यू प्राणी अपने बिस्तर कर
इन अलसाई आँखों को मसला करते हो
पंछी अपने घोंसले से पशु भीअपने बाड़े से
जलचर -नभचर जल में नभ में
विचरण करने को करने को निकल पड़े
आप अभी भी इस करवट से उस करवट
तकिया लेकर बस सिमट पड़े
अब इन अलसाई आँखों को कह दो
दिनकर का उठकर रसपान करे
थोड़ी सी साफ़ सफाई कर अपनी
निज भगवन का गुणगान करे
डॉ एल के मिश्रा