Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Sep 2021 · 3 min read

(“अर्श छन्द”) स्वनिर्मित नवीन छंद स-विधान एंव उदाहरण सहित

!!जय माँ शारदे !!卐 !! ॐ !!卐 !!जय गुरुदेव !!
¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤
सभी को गुरु-दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मै कवि डाॅ एच०एस०”अर्श लखनवी” निवासी लखनऊ उत्तर-प्रदेश आज दिनांक 05/09/2021 दिन रविवार को स्वनिर्मित एक नवीन छन्द ( “अर्श छन्द ” ) लेकर उपस्थित हुआ हूँ। उक्त छन्द की उत्पत्ति मेरे द्वारा दिनांक 31/08/2021 दिन मंगलवार को की गई।
आज दिनांक 05/08/2021 दिन रविवार को जिसका स- विस्तार लोकार्पण आप सब के समक्ष स-विधान एंव उदाहरण सहित प्रस्तुत है।
उक्त नवीन “अर्श छन्द” में आप काव्य की सभी विधाओं ( छन्द, मुक्तक, गीत, गीतिका एवं पद आदि ) में सुन्दर व उत्कृष्ट सृजन कर सकते हैं।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
#नव_निर्मित_नवीन_छंद ( “अर्श छंद” )
********************************
“अर्श छंद” विधान निर्माण दिवस-
तिथि 01/09/2021
“अर्श छंद” विधान सार्वजनिक प्रस्तुति-
तिथि 05/09/2021
“अर्श छंद” निर्माणक-
( कवि डाॅ हिमान्शु सक्सेना “अर्श लखनवी”)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
“अर्श छंद” विधान-
~~~~~~~~~~
(13-10= 23मात्रिक चार चरण दो पंक्ति)
विषम चरण (तेहरा) 13 मात्रिक चरणांत (लगा) लघु+गुरु |ऽ ( समझने के लिए इसे दोहे का प्रथम विषम चरण भी कह सकते हैं आप )
सम चरण (दस )10 मात्रिक चरणांत (गा गा गा) (तीन गुरु) ऽऽऽ
चरणांत समतुकान्त।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
“अर्श छंद ” उदाहरण –
****************
कौन उन्हे क्या बोलता,••दिखें नवाबी जो।
सारे प्राणी झूमते, ••••••••बने शराबी जो।
¤¤¤¤¤
ज्ञानी शीतलता धरे, •••••मौन रहे वे बस।
ज्ञान झाडते “अर्श” वे,जो हों जस के तस।
#स्वरचित_एंव_मौलिक_छंद
✍(कवि डाॅ एच०एस०”अर्श लखनवी”)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
“अर्श छंद “आधारित मुक्तक –
**********************
बालक जब पथ भ्रष्ट हो, सीख सिखाए माँ।
बालक को गर कष्ट हो, •पलक भिगाए माँ।
“अर्श” जगत में कौन है, ••जो माँ सा होता-
हर कीमत पर बस करे, •••यार दुआँए माँ।
#स्वरचित_एंव_मौलिक_मुक्तक
✍(कवि डाॅ एच०एस०”अर्श लखनवी”)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
“अर्श छंद ” आधारित गीतिका –
************************
समान्त – खुशहाली ( ई ) स्वर की बंदिश
पदान्त- हो॥
॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
सपने पूरे हों सभी,•••••जब खुशहाली हो।
यारो जीतें खेल हम, ••••जीत निराली हो॥

जान लुटाएँ देश पर,•••••सच हो ये सपना।
कफन तिरंगे का मिले,••••मौत नवाबी हो॥

गलती दोनों ही करें,•••••••दोषी दोनों जब।
ऐसे मौकों मे भला, ••••••कौन जवाबी हो॥

पत्नी गर हो कामनी, •फिर क्या मधुशाला।
घर में ही साकी मिले, •••••प्रीत सुहानी हो॥

नैन लड़े जब से सनम, सुध-बुध सारी गुम।
“अर्श”चैन दिल को कहाँ, प्रीत निगोड़ी हो॥
#स्वरचित_एंव_मौलिक_गीतिका
✍(कवि डाॅ एच०एस०”अर्श लखनवी”)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
“अर्श छंद ” आधारित पद-
*********************
प्रेम खुशी भर दे।
जीत-हार से हो परे, मन रौशन कर दे।
तन की पीड़ा को मिटा, दुख सारे हर दे।
मधुर बन्ध में बाँध कर, रिश्तों को घर दे।
मान बड़ों का ये करें, नीति सुलभ वर दे।
“अर्श ” थाम ले जो इसे, तो जीवन तर दे।
#स्वरचित_एंव_मौलिक_पद
✍(कवि डाॅ एच०एस०”अर्श लखनवी”)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
“अर्श छंद” आधारित गीत-
*********************
सात सुरो के मान से,••••जीवन पावन हों।
मात शारदे ज्ञान दें,••••खुशियाँ दामन हों॥

सेवा अरु सत्कार से,••••••••मान बढाएंगें।
रोज नए श्रृंगार कर, ••••••••जश्न मनाएंगें।
कार्य करेगें हम वही,•••जो मन भावन हों॥
मात शारदे ज्ञान…………

दीप जगे जब नित सदा, सुन्दर शिक्षा का।
मान बढे तब ही प्रिये,••सफल परिक्षा का।
“अर्श” गुरू सम्मान के , हर घर आँगन हों॥
मात शारदे ज्ञान…………
#स्वरचित_एंव_मौलिक_गीत
✍(कवि डाॅ एच०एस०”अर्श लखनवी”)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
नोट- ये छन्द आज दिनांक 05/09/2021 को साहित्य विकीपीडिया पर भी अपलोड कर दिया गया है इस छंद के अविष्कारक कवि डाॅ एच० एस० “अर्श लखनवी” जी द्वारा इस छन्द के सब अधिकार सुरक्षित एव॔ मौलिक है। आप इस छन्द पर अपना काव्य सृजन कर सकते है पर इसके साथ किसी भी प्रकार की छेडछाड नही कर सकते है।

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 1738 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...