अमर नाथ हमला…..एक विनम्र श्रद्धांजलि
हे भोलेनाथ हे अविनाशी
हे आशुतोष हे भालचंद्र
ये कैसा विध्वंश छाया है
तेरी ही बनाई धरती पर
तेरे ही बनाये लोगो ने
कहर ये कैसा ढाया है
तू स्वयं विराजित है जहाँ
उस धरती पर क्यों ये रक्तिम छाया है
पुकार रही यह धरती अब
उठा त्रिशूल और कर तांडव
कर संहार नरभक्षो का
समय नहीं समाधि का
आया है वक्त अब आंधी का
हे भोलेनाथ हे घट घटवासी
है विनम्र ये विनती तुझसे
दे अभय का दान हमें तू
पीड़ित है अब तार हमें तू