Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Mar 2023 · 1 min read

*अभी भी शुक्रिया साँसों का, चलता सिलसिला मालिक【मुक्तक 】*

अभी भी शुक्रिया साँसों का, चलता सिलसिला मालिक【मुक्तक 】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
खजाना शुक्रिया सेहत का, जो हमको मिला मालिक
हमें जो चाहिए वह सब, हमें देते दिला मालिक
खुशी से अपने घर पर, खा रहे दोनों समय खाना
अभी भी शुक्रिया साँसों का, चलता सिलसिला मालिक
—————————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451

314 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-266💐
💐प्रेम कौतुक-266💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हार भी स्वीकार हो
हार भी स्वीकार हो
Dr fauzia Naseem shad
स्वस्थ्य मस्तिष्क में अच्छे विचारों की पूॅजी संकलित रहती है
स्वस्थ्य मस्तिष्क में अच्छे विचारों की पूॅजी संकलित रहती है
Tarun Singh Pawar
पानी
पानी
Er. Sanjay Shrivastava
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
Dr. Vaishali Verma
अम्बर में अनगिन तारे हैं।
अम्बर में अनगिन तारे हैं।
Anil Mishra Prahari
मैंने साइकिल चलाते समय उसका भौतिक रूप समझा
मैंने साइकिल चलाते समय उसका भौतिक रूप समझा
Ms.Ankit Halke jha
पुराना कुछ भूलने के लिए,
पुराना कुछ भूलने के लिए,
पूर्वार्थ
2946.*पूर्णिका*
2946.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अंधेरी रात में भी एक तारा टिमटिमाया है
अंधेरी रात में भी एक तारा टिमटिमाया है
VINOD CHAUHAN
सोचता हूँ के एक ही ख्वाईश
सोचता हूँ के एक ही ख्वाईश
'अशांत' शेखर
"चाँद को शिकायत" संकलित
Radhakishan R. Mundhra
अब उठो पार्थ हुंकार करो,
अब उठो पार्थ हुंकार करो,
अनूप अम्बर
पंछी और पेड़
पंछी और पेड़
नन्दलाल सुथार "राही"
अज्ञात है हम भी अज्ञात हो तुम भी...!
अज्ञात है हम भी अज्ञात हो तुम भी...!
Aarti sirsat
अनसोई कविता............
अनसोई कविता............
sushil sarna
रात के अंधेरों से सीखा हूं मैं ।
रात के अंधेरों से सीखा हूं मैं ।
★ IPS KAMAL THAKUR ★
बाल कविता: हाथी की दावत
बाल कविता: हाथी की दावत
Rajesh Kumar Arjun
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
दोहे : प्रभात वंदना हेतु
दोहे : प्रभात वंदना हेतु
आर.एस. 'प्रीतम'
मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
surenderpal vaidya
चाय की घूंट और तुम्हारी गली
चाय की घूंट और तुम्हारी गली
Aman Kumar Holy
*** यादों का क्रंदन ***
*** यादों का क्रंदन ***
Dr Manju Saini
*श्रमिक मजदूर*
*श्रमिक मजदूर*
Shashi kala vyas
"किस किस को वोट दूं।"
Dushyant Kumar
क्यों तुमने?
क्यों तुमने?
Dr. Meenakshi Sharma
आऊं कैसे अब वहाँ
आऊं कैसे अब वहाँ
gurudeenverma198
"नजरिया"
Dr. Kishan tandon kranti
■ साल चुनावी, हाल तनावी।।
■ साल चुनावी, हाल तनावी।।
*Author प्रणय प्रभात*
R J Meditation Centre
R J Meditation Centre
Ravikesh Jha
Loading...