“ अभी अभी तो दोस्त बने हैं “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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आपके फेसबूक में ताले लगे थे ! फिर भी आपके अनुरोध को स्वीकार किया ! अपने मित्रों की सूची में आपको शामिल किया ! फिर आपके दिव्य रूप का दर्शन हुआ ! पर आपके दर्शन से हमारी आत्मा भटकने लगी ! जिज्ञासा बड़ी ! आपके प्रोफाइल को खोला ! कहाँ से आपने अध्ययन किया ? क्या करते हैं ? कहाँ वर्तमान में रहते हैं ? कहाँ के रहने वाले हैं ? आपकी शादी कब और किस से हुईं ? आपके कार्यों का ब्योरा ! आपकी शिक्षा कहाँ -कहाँ हुईं ? पारवारिक ब्योरा ! आपका अपना विचार इत्यादि -इत्यादि ! पर आपने फेसबूक पन्नों को गौर से ना अवलोकन किया ना आपने जहमत ही उठाई ! मैसेंजर में आपने कोई संवाद भी नहीं किया और चले मुझे किसी ना किसी ग्रुप से जोड़ने ! एक बार मैंने डिलीट किया फिर दूसरा अनुरोध ,फिर तीसरा अनुरोध और अनुरोध पर अनुरोध ! पहले तो यह समझ लेना चाहिए कि आगे वाला इक्षुक है या नहीं ? दो शब्द तो हमें प्यार से लिख नहीं पाते हैं और चले लोगों को परेशान करने ?लोग चाहे कुछ भी कहे यह मित्रता का मखोल है ! आपको बुरा लगे तो लगे ,मैं आपको अपने मित्र सूची से निकाल रहा हूँ !
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड