अभिमान की अग्नि में जलकर
वह सूरज उगता जा रहा है
आसमान तक पहुंचता जा रहा है
आसमान से जमीन पर गिर रहे
सितारे को देखकर
मुस्कुरा रहा है
उसकी खिल्ली उड़ा रहा है
उसका मजाक बना रहा है
वह सूरज सांझ होने पर
आसमान से नीचे की तरफ
उतरता जा रहा है
डूबता जा रहा है
जमीन पर एक कोने में पड़ा
वह चमकता हुआ सितारा
उसे देख मंद मंद मुस्कुरा रहा है
सितारा अभी भी जी रहा है
श्वासें लम्बी न सही पर
छोटी छोटी भर रहा है
सूरज जल रहा है
अपनी ही अभिमान की अग्नि में जलकर
भस्म हो रहा है
हमेशा के लिए मर रहा है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001