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23 Sep 2024 · 1 min read

अब

अब

आओ अब कुछ तो हो जाए।
स्वर्गिक जगती में खो जाएं।।
यह जीवन की मोहक चाहत।
इससे मन असीम सुख पावत।।

तुम्हीं प्रेम प्रिय अनुपम लेखा।
मधुर हृदय आकाश सुलेखा।।
तुम बिन जीवन सदा अधूरा।
प्रीति रसायन दे कर पूरा।।

हिन्दी काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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