“… अब जाने दो “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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हम आज युदा होक तुमसे
पछताते राह पे जाते हैं !
मंजिल को अब जाने दो
छाया भी भागे जाते हैं !!
हम आज युदा होक तुमसे
पछताते राह पे जाते हैं !
मंजिल को अब जाने दो
छाया भी भागे जाते हैं !!
लग रहा आज गिरने वाला है आसमान ,
यह अंधकार जीवन का कब होगा विहान ?
लग रहा आज गिरने वाला है आसमान ,
यह अंधकार जीवन का कब होगा विहान ?
सिर्फ तुम्हारी यादों में
आंसू मेरे वह जाते हैं !
मंजिल को अब जाने दो
छाया भी भागे जाते हैं !!
मैं जिधर देखता आज उधर पतझड़ ही है
अब नयनों के साथी मेरा सिर्फ सावन ही है !
मैं जिधर देखता आज उधर पतझड़ ही है
अब नयनों के साथी मेरा सिर्फ सावन ही है !!
अब कोयल की बोली
गीत विरह के लगते हैं !
मंजिल को अब जाने दो
छाया भी भागे जाते हैं !!
हम आज युदा होक तुमसे
पछताते राह पे जाते हैं !
मंजिल को अब जाने दो
छाया भी भागे जाते हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका ,झारखंड
भारत