अबीर ओ गुलाल में अब प्रेम की वो मस्ती नहीं मिलती,
अबीर ओ गुलाल में अब प्रेम की वो मस्ती नहीं मिलती,
चौके से आती पपड़ी और गुझिया की खुशबू नहीं मिलती,
कहने को तो हमने कदम चांद तक बढ़ाया है यारों,
पर प्रेम से सराबोर वो बचपन वाली होली नहीं मिलती।
संजय श्रीवास्तव
5 मार्च 2023