अपनों की भूख का डर
रुक जा अब तो के अब बहुत हुआ,
बक्श दे सबको के अब बहुत हुआ,
जी लेने दे सबको के अब बहुत हुआ,
अब तो खुद का कत्ल हुआ सा लगता है
सुन जरा..
बता जरा ,
कि अब तुझ से डरता कौन है…
इस भूखे पेट के आगे अब तुझसे डरता कौन है
तू कुछ नहीं है भूख के आगे ,
माना कि तू विकराल है अब,
भूख भी अब तुझसे कुछ कम नहीं,
नाप लिए हैं रास्ते अब नंगे पगो ने,
के अब तुझसे डरता कौन है…
उमेंद्र कुमार