*अपने बारे में भ्रम( कुंडलिया )*
अपने बारे में भ्रम( कुंडलिया )
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लगता है सबको यही ,हम काफी मशहूर
दुनिया हम को जानती ,हम हैं जग का नूर
हम हैं जग का नूर , अरे हम सूरज चंदा
तारों का सौंदर्य , हमारे सम्मुख मंदा
कहते रवि कविराय ,महा ठग है भ्रम ठगता
हाड़-मांस का जीव ,लौह का खुद को लगता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर [उत्तर प्रदेश]
मोबाइल 999761 5451