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29 May 2022 · 1 min read

“ अपनी बाँहों में ले लो “

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”

=====================

तड़पते रहे तेरे बिन मेरे साजन ,अब तो तड़पना सुहाता नहीं है !

सँग जो मेरे तुम रहते नहीं हो ,मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!

इतने दिनों के बाद मिले हो ,

अब तुम छोड़ के जाना नहीं !

बाँहों में मुझको रखना सदा ,

छोड़के कभी फिर जाना नहीं !!

इतने दिन हम दूर रहे साजन , सुध मेरी कोई भी लेता नहीं है !

सँग जो मेरे तुम रहते नहीं हो , मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!

कहने को सब साथ हैं मेरे ,

पर तेरी कमी मुझे खलती है !

रात -रात भर तारे गिनकर ,

जिंदगी मेरी यूँही कटती है !!

अब ना रहेगी कमी कोई मुझमे ,बिछुड़ना तुम्हारा सुहाता नहीं है !

सँग जो मेरे तुम रहते नहीं हो , मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!

रहूँगी सदा सँग ही साजन ,

मैं भी चलूँगी साथ तेरे !

जन्मों का बंधन मान लिया ,

नहीं छोड़ूँगी ये हाथ तेरे !!

अब सँग सदा मैं तुम्हारी रहूँगी ,कोई दूसरा ख्याल आता नहीं है !

सँग जो मेरे तुम रहते नहीं हो , मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!

तड़पते रहे तेरे बिन मेरे साजन , अब तो तड़पना सुहाता नहीं है !

सँग जो मेरे तुम रहते नहीं हो , मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!

======================

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”

साउंड हेल्थ क्लिनिक

एस ० पी ० कॉलेज रोड

दुमका

झारखण्ड

भारत

29.05.2022

Language: Hindi
78 Views
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