अपनी नींद ज़ाया न कर
अपनी नींद ज़ाया न कर
मोहब्बत है तो बता दे
खुद को तड़पाया न कर
इज़हार ए इश्क़ थोड़ा मुश्किल है
ऐसे इश्क़ को भुलाया न कर
ग़नीमत है इश्क़ हुआ
इस दौर में हर किसी को
अपना बताया न कर
आबरू ही तो है सब कुछ
अज़नबी पर यूं जान लुटाया न कर
आज नही तो कल उड़ ही जाना है
परिंदा का कहां ठिकाना है
अपना आशियाना बना
हर किसी की बात पर आ जाया न कर
तू पंछी है खुले आसमान का
पंख फैला क्षितिज को चूम आ
हर डाल पर बैठ समय ज़ाया न कर
भूपेंद्र रावत
6।04।2020