Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 May 2022 · 1 min read

अपनी क़िस्मत को फिर बदल कर देखते हैं

अपनी क़िस्मत को फिर बदल कर देखते हैं
आओ मुहब्बत को एक बार संभल कर देखते हैं

चाँद तारे फूल शबनम सब रखते हैं एक तरफ
महबूब-ए-नज़र पे इस बार मर कर देखते हैं

जिस्म की भूख तो रोज कई घर उजाड़ देती है
हम रूह-ओ-रवाँ को अपनी जान कर के देखते हैं

छोड़ देते हैं कुछ दिन ये फ़ज़ा का मुक़ाम
चंद रोज़ इस घर से निकल कर देखते हैं

लौह-ए-फ़ना से जाना तो फ़ितरत है सभी की
यार-ए-शातिर पे एतिबार फिर कर कर देखते हैं

कौन सवार हैं कश्ती में कौन जाता है साहिल पर
सात-समुंदर से ‘आसिफ’ गुफ़्तगू कर कर देखते हैं

~ मुहम्मद आसिफ अली (भारतीय कवि)

551 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वेलेंटाइन डे
वेलेंटाइन डे
Surinder blackpen
रंगोत्सव की हार्दिक बधाई-
रंगोत्सव की हार्दिक बधाई-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
क्रोध
क्रोध
ओंकार मिश्र
जब कोई आदमी कमजोर पड़ जाता है
जब कोई आदमी कमजोर पड़ जाता है
Paras Nath Jha
सत्य साधना -हायकु मुक्तक
सत्य साधना -हायकु मुक्तक
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
अगर दिल में प्रीत तो भगवान मिल जाए।
अगर दिल में प्रीत तो भगवान मिल जाए।
Priya princess panwar
दिल से दिल को जोड़, प्रीति रंग गाती होली
दिल से दिल को जोड़, प्रीति रंग गाती होली
Pt. Brajesh Kumar Nayak
*उड़न-खटोले की तरह, चला चंद्रमा-यान (कुंडलिया)*
*उड़न-खटोले की तरह, चला चंद्रमा-यान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
के कितना बिगड़ गए हो तुम
के कितना बिगड़ गए हो तुम
Akash Yadav
"परिवार एक सुखद यात्रा"
Ekta chitrangini
कभी न खत्म होने वाला यह समय
कभी न खत्म होने वाला यह समय
प्रेमदास वसु सुरेखा
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
Rj Anand Prajapati
कान में रखना
कान में रखना
Kanchan verma
चेहरे की मुस्कान छीनी किसी ने किसी ने से आंसू गिराए हैं
चेहरे की मुस्कान छीनी किसी ने किसी ने से आंसू गिराए हैं
Anand.sharma
दोहा ग़ज़ल (गीतिका)
दोहा ग़ज़ल (गीतिका)
Subhash Singhai
यूं हर हर क़दम-ओ-निशां पे है ज़िल्लतें
यूं हर हर क़दम-ओ-निशां पे है ज़िल्लतें
Aish Sirmour
कौन कितने पानी में
कौन कितने पानी में
Mukesh Jeevanand
I am not born,
I am not born,
Ankita Patel
माँ का प्यार पाने प्रभु धरा पर आते है ?
माँ का प्यार पाने प्रभु धरा पर आते है ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सुख -दुख
सुख -दुख
Acharya Rama Nand Mandal
दीपावली त्यौहार
दीपावली त्यौहार
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
ज्ञान के दाता तुम्हीं , तुमसे बुद्धि - विवेक ।
ज्ञान के दाता तुम्हीं , तुमसे बुद्धि - विवेक ।
Neelam Sharma
अरे! पतझड़ बहार संदेश ले आई, बसंत मुसुकाई।
अरे! पतझड़ बहार संदेश ले आई, बसंत मुसुकाई।
राकेश चौरसिया
मेले
मेले
Punam Pande
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
यदि सत्य बोलने के लिए राजा हरिश्चंद्र को याद किया जाता है
यदि सत्य बोलने के लिए राजा हरिश्चंद्र को याद किया जाता है
शेखर सिंह
नज़र मिला के क्या नजरें झुका लिया तूने।
नज़र मिला के क्या नजरें झुका लिया तूने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
23/19.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/19.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी के लिए वो क़िरदार हैं हम,
जिंदगी के लिए वो क़िरदार हैं हम,
Ashish shukla
सिखों का बैसाखी पर्व
सिखों का बैसाखी पर्व
कवि रमेशराज
Loading...