Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Dec 2022 · 1 min read

अपनी अना का

अपनी नज़र में खुद
पूरा है हर कोई ।
अपनी अना का सबका
अपना मे’यार है ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
10 Likes · 251 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
दोगलापन
दोगलापन
Mamta Singh Devaa
मेला झ्क आस दिलों का ✍️✍️
मेला झ्क आस दिलों का ✍️✍️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तुम्हे याद किये बिना सो जाऊ
तुम्हे याद किये बिना सो जाऊ
The_dk_poetry
सरहदों को तोड़कर उस पार देखो।
सरहदों को तोड़कर उस पार देखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
3130.*पूर्णिका*
3130.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जै जै जै गण पति गण नायक शुभ कर्मों के देव विनायक जै जै जै गण
जै जै जै गण पति गण नायक शुभ कर्मों के देव विनायक जै जै जै गण
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आज बहुत याद करता हूँ ।
आज बहुत याद करता हूँ ।
Nishant prakhar
ज़माना हक़ीक़त
ज़माना हक़ीक़त
Vaishaligoel
*हर साल नए पत्ते आते, रहता पेड़ पुराना (गीत)*
*हर साल नए पत्ते आते, रहता पेड़ पुराना (गीत)*
Ravi Prakash
अफसाने
अफसाने
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
दशावतार
दशावतार
Shashi kala vyas
प्रार्थना (मधुमालती छन्द)
प्रार्थना (मधुमालती छन्द)
नाथ सोनांचली
स्मृतिशेष मुकेश मानस : टैलेंटेड मगर अंडररेटेड दलित लेखक / MUSAFIR BAITHA 
स्मृतिशेष मुकेश मानस : टैलेंटेड मगर अंडररेटेड दलित लेखक / MUSAFIR BAITHA 
Dr MusafiR BaithA
माना जिंदगी चलने का नाम है
माना जिंदगी चलने का नाम है
Dheerja Sharma
राजनीति अब धुत्त पड़ी है (नवगीत)
राजनीति अब धुत्त पड़ी है (नवगीत)
Rakmish Sultanpuri
एक वो है मासूमियत देख उलझा रही हैं खुद को…
एक वो है मासूमियत देख उलझा रही हैं खुद को…
Anand Kumar
सपने
सपने
Santosh Shrivastava
जरासन्ध के पुत्रों ने
जरासन्ध के पुत्रों ने
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ना तो हमारी तरह तुम्हें कोई प्रेमी मिलेगा,
ना तो हमारी तरह तुम्हें कोई प्रेमी मिलेगा,
Dr. Man Mohan Krishna
फिर भी तो बाकी है
फिर भी तो बाकी है
gurudeenverma198
पिता
पिता
Shweta Soni
#कैसी_कही
#कैसी_कही
*Author प्रणय प्रभात*
ना कोई संत, न भक्त, ना कोई ज्ञानी हूँ,
ना कोई संत, न भक्त, ना कोई ज्ञानी हूँ,
डी. के. निवातिया
"सिक्का"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम्हारी निगाहें
तुम्हारी निगाहें
Er. Sanjay Shrivastava
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
सत्य कुमार प्रेमी
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुम्हें जब भी मुझे देना हो अपना प्रेम
तुम्हें जब भी मुझे देना हो अपना प्रेम
श्याम सिंह बिष्ट
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
Loading...