अपना पराया
-: अपना पराया :-
हमारी शादी को छह माह से भी अधिक हो गये थे। माँ अपनी बहू का विशेष ध्यान रखती थी। मैंने सोचा नई-नई है, इसलिए स्थिति ऐसी है, लेकिन तीन साल बाद भी वही स्थिति देखकर एक दिन मैंने माँ से पूछ ही लिया- ‘‘माँ ! तुम तो अपनी बहू को इतना प्यार करती हो, जैसे वह तुम्हारी अपनी सगी बेटी हो।’’
माँ ने समझाया- ‘‘बेटी अपनी कहाँ होती है बेटा ? शादी के बाद तो वह परायी हो जाती है। शादी के बाद परायी बेटी जब अपनी हो जाती है, तो फिर मैं उसे क्यों न प्यार करूँ ?
माँ की बातें सुनकर मन को बड़ा संतोष हुआ, काश ! सभी माँएँ ऐसा ही सोचतीं, तो आज दहेज समस्या न होती और इसके नाम पर कोई बेटी या बहू असमय काल-कवलित न होती।
-डाॅ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़