Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Feb 2024 · 1 min read

अन्तिम स्वीकार ….

अंतिम स्वीकार ….

जितना प्रयास किया
आँखों की भाषा को
समझने का
उतना ही डूबता गया
स्मृति की प्राचीर में
रिस रही थी
जहाँ से
पीर
आँसूं बनकर
स्मृति की दरारों से
रह गया था शेष
अंतर्मन में सुवासित
अंतिम स्वीकार

सुशील सरना/13-2-24

129 Views

You may also like these posts

ज्योत्सना
ज्योत्सना
Kavita Chouhan
समय
समय
Paras Nath Jha
तस्सुवर की दुनिया
तस्सुवर की दुनिया
Surinder blackpen
सपनों के पंख
सपनों के पंख
Sunil Maheshwari
प्रेरणा गीत
प्रेरणा गीत
Saraswati Bajpai
कब रात बीत जाती है
कब रात बीत जाती है
Madhuyanka Raj
ईश्वर जिसके भी सर्वनाश का विचार बनाते हैं तो सबसे पहले उसे ग
ईश्वर जिसके भी सर्वनाश का विचार बनाते हैं तो सबसे पहले उसे ग
इशरत हिदायत ख़ान
23/129.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/129.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"सपने तो"
Dr. Kishan tandon kranti
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हमारी सच्चाई और
हमारी सच्चाई और
Mamta Rani
जुनून
जुनून
अखिलेश 'अखिल'
“हम अब मूंक और बधिर बनते जा रहे हैं”
“हम अब मूंक और बधिर बनते जा रहे हैं”
DrLakshman Jha Parimal
"एक नज़्म तुम्हारे नाम"
Lohit Tamta
सागर में मोती अंबर में तारा
सागर में मोती अंबर में तारा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
कहाॅ॑ है नूर
कहाॅ॑ है नूर
VINOD CHAUHAN
sp131 गजब भरा हर/ हिला था बंद पंखा
sp131 गजब भरा हर/ हिला था बंद पंखा
Manoj Shrivastava
रुपयों लदा पेड़ जो होता ,
रुपयों लदा पेड़ जो होता ,
Vedha Singh
खींच तान के बात को लम्बा करना है ।
खींच तान के बात को लम्बा करना है ।
Moin Ahmed Aazad
शाकाहारी बने
शाकाहारी बने
Sanjay ' शून्य'
झलक जिंदगी
झलक जिंदगी
पूर्वार्थ
बीती यादें
बीती यादें
Shyam Sundar Subramanian
अगर
अगर
Shweta Soni
समूचे विश्व में अपना भी स्वाभिमान निखरेगा,
समूचे विश्व में अपना भी स्वाभिमान निखरेगा,
Abhishek Soni
वे आजमाना चाहते हैं
वे आजमाना चाहते हैं
Ghanshyam Poddar
******** प्रेम भरे मुक्तक *********
******** प्रेम भरे मुक्तक *********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
स्वतंत्रता दिवस पर विशेष
स्वतंत्रता दिवस पर विशेष
पूनम दीक्षित
कभी सब तुम्हें प्यार जतायेंगे हम नहीं
कभी सब तुम्हें प्यार जतायेंगे हम नहीं
gurudeenverma198
धन तो विष की बेल है, तन मिट्टी का ढेर ।
धन तो विष की बेल है, तन मिट्टी का ढेर ।
sushil sarna
*कविवर श्री हिमांशु श्रोत्रिय निष्पक्ष (कुंडलिया)*
*कविवर श्री हिमांशु श्रोत्रिय निष्पक्ष (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...