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27 Aug 2024 · 1 min read

अनामिका

अनामिका

अति मधुरिम प्रिय शुभ अनामिका।
सदा एक रस प्रीति कुंजिका।
प्रियतम दिखे सहज सपने में।
दिल की बातेँ हों अपने में।।

बिन प्रियतम अनामिका निर्जन।
सूना -सूना है वृंदावन।।
प्रियतम को वह खोज रही है।
हो उदास कुछ सोच रही है।।

गली-गली में चक्कर काटे।
अपना दुखड़ा सबसे बाँटे।।
प्रियतम आज कहीं ग़ायब है।
प्रिय अनामिका दुखी ग़ज़ब है।।

खोज रही है राह चलंते।
पूछ रही वह जो भी मिलते।।
कुछ दूरी पर प्रियतम दिखता।
प्रेम कहानी रहता लिखता।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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