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26 Nov 2022 · 3 min read

– अनाथ बच्चो को अपनाइए देश के भविष्य को बचाईए –

-अनाथ बच्चो को अपनाइए देश के भविष्य को बचाईए –

अनाथ शब्द एक ऐसा शब्द है जो सुनकर व्यक्ति अमूमन भावुक हो जाता है,
अनाथ मतलब जिसका कोई नाथ (मालिक )न हो ,
साधारण शब्दो मे जिन बच्चो के माता पिता नही होते है माता पिता नही होने से हमारा मतलब जिनके माता- पिता इस दुनिया को छोड़ जाते है मृत्यु को प्राप्त हो जाते है यह दुनिया ऐसे बच्चो को अनाथ के नाम से पुकारती है,
भारत मे वर्तमान समय मे कई अनाथ बच्चे है जो अपने यतीन जीवन जीने को मजबूर है उनका इस दुनिया मे कोई नही है लोगो द्वारा उन्हें दुत्कारा जाता है ,
वैसे भारत मे अनाथालय (अनाथ आश्रम) बहुत है जहा पर ऐसे बच्चो की परवरिश होती है,
कई लोग इन संस्थाओ व अनाथ बच्चो के नाम का गलत फायदा उठाते है व इनके नाम से लोगो को ठगने का काम करते है,
कई लोग फर्जी संस्था बनाकर फर्जी रसीद बुक बनाकर गली गली घुमते है बच्चे के नाम से धन एकत्रित करते है ,
वो भी चलो इतना गम्भीर नही है ,
कई लोग तो बच्चो का अपहरण कर उनसे भीख मंगवाते है जो सरासर गलत बात है जिनके हाथ मे कलम व किताब होनी चाहिए उन हाथों में यह लोग भीख मांगने के लिए कटोरा दे देते है तथा उनसे कमाई गई रकम से वे लोग मौज करते है ,
ऐसे कृत्य से मानव तस्करी को बढ़ावा मिलता है इस पर रोक लगनी चाहिए सरकार व पुलिस प्रशासन को इस मामले को लेकर कड़े कदम उठाने चाहिए,
आज से कुछ वर्षों पहले हमने एक फ़िल्म देखी थी जिसका नाम था बागवान सम्भवत आप सभी ने भी देखी होगी,
उस फ़िल्म में आलोक नाम के छोटे बच्चे का किरदार (सलमान खान) ने निभाया जो स्कूल के बाहर जूते पालिश का काम करता है ,
उसके पास जूते पॉलिश करवाने आए अभिताभ बच्चन ने उसके पास जूते पॉलिश करवाने के बाद उसका नाम पूछा कि बेटे तुम्हारा नाम क्या है तो उस बालक ने अपना नाम आलोक बताया जो स्कूल के बाहर अंधकारमय जीवन जी रहा था,
उस बच्चे की पढ़ाई का खर्चा अभिताभ बच्चन देते है व वही बच्चा आलोक एक दिन बड़ा होकर बड़ी कम्पनी का मालिक बन जाता है ,
और जब अभिताभ बच्चन के बच्चे जो उसकी खुद की संतानें होती है उस फ़िल्म में बुढ़ापे में जब उनके द्वारा तिरस्कार करने पर वही आलोक उनको अपनाता है ,
खैर यह तो एक फ़िल्म थी सही भी है रील लाइफ व रियल लाइफ में फर्क तो होता ही है किंतु वो फ़िल्म हमे बहुत कुछ सिखाती है ,
भारत मे ऐसे कई आलोक है जो अंधकारमय जीवन जीने को मजबुर है ,
जो तिमिर के घनघोर बादल को चीरकर प्रभात की नई किरण बनना चाहते है आवश्यकता है तो बस उन्हें सिर्फ अपनेपन की उन्हें अपनाने की,
जिस दिन इन बच्चों का भविष्य सुधर जाएगा,
उस दिन देश का भविष्य जरूर सुधरेगा ,
इसलिए अनाथ बच्चो से सहानुभूति रखे उनसे अपनत्व का भाव रखे उनमे हीनभावना का हास करने का प्रयास करे जिससे वे लोग भी आगे बढ़ सके,
देश व दुनिया में अपना नाम कर सके,

भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
सम्पर्क सूत्र -7742016184-

Language: Hindi
Tag: लेख
55 Views
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