अनहोनी करते प्रभो, रखो मनुज विश्वास (कुंडलिया)*
अनहोनी करते प्रभो, रखो मनुज विश्वास (कुंडलिया)
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अनहोनी करते प्रभो ,रखो मनुज विश्वास
दुर्बल के बल राम की ,छोड़ो कभी न आस
छोड़ो कभी न आस ,काल का चक्र घुमाते
बानक सब अनुरूप ,भक्त के सहज बनाते
कहते रवि कविराय , न रहती सूरत रोनी
रचते अचरज – दृश्य , प्रभो करते अनहोनी
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बानक = परिस्थितियाँ ,परिदृश्य
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451