अनजान है इंसान
अनजान है इंसान
इंसान उलझ गया
संकीर्ण दायरों में
कर लिया मेकअप
आधुनिकता का
ओढ़ लिया आवरण
सभ्यता का
दुनिया बना ली छोटी-सी
कूंए के मेंढक की तरह
अनजान है
सागर की विशालता से
-विनोद सिल्ला©
अनजान है इंसान
इंसान उलझ गया
संकीर्ण दायरों में
कर लिया मेकअप
आधुनिकता का
ओढ़ लिया आवरण
सभ्यता का
दुनिया बना ली छोटी-सी
कूंए के मेंढक की तरह
अनजान है
सागर की विशालता से
-विनोद सिल्ला©