अनंत संभावनाओं वाला संविधान
प्रस्तावना है जिसकी,भूमिका उसी की होगी.
मान बढा, सम्मान बढा जय जयकार बढेगी.
कर्तव्य पालना कर,जनता कर्तव्यनिष्ठ बनेगी.
मौलिक अधिकारों से जागरूकता पनपेगी..
व्यवाहारिक समझ से न्याय मजबूती मिलेगी.
गुप्त मतदान के अधिकार मिले जब निभावोगे
वोट की चोट से ही, सम्प्रदाय को परस्त पावोगे.
सरकार के तीन अंग,चौथा मीडिया को पावोगे.
चारों है ध्वस्त, फिर भी संविधान पूरा जानोगे.
जितने संविधान से दूर जाओगे, लौट आवोगे.
है विभिन्नता में एकता, उतने सुशोभित पावोगे.
परिकल्पना लोकतंत्र की संविधान मूलाधार.
जितने दूर जावोगे, उतने ही भटकते पावोगे.
एक सूत्र है संविधान, एक देश माला कहलावोगे
टूटा गर सूत्र,खुद को खंड खंड बिखरे पावोगे.
है अनंत संभावना, इसके पीछे, स्वछंद पावोगे
ऊंच नीच,भेद भाव के हर उपाय इसमें पावोगे