Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Dec 2021 · 4 min read

अध्यात्म ज्योति जुलाई – दिसंबर 2021

पत्रिका समीक्षा
पत्रिका का नाम :अध्यात्म ज्योति
संपादिका द्वय :(1) श्रीमती ज्ञान कुमारी अजीत, 61 टैगोर टाउन, इलाहाबाद 211002 फोन 99369 17406 तथा
(2) डॉ सुषमा श्रीवास्तव f9 ,सी ब्लॉक लुत्सियानी एनक्लेव 28 लाउदर रोड, इलाहाबाद 211002 फोन 94518 43915
अंक 2 , वर्ष 54 ,प्रयागराज , जुलाई – दिसंबर 2021
■■■■■■■■■■■■■■■■■
समीक्षक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
चालीस पृष्ठ की यह पत्रिका भारत समाज पूजा शताब्दी विशेषांक के रूप में प्रकाशित हुई है । प्रारंभिक प्रष्ठों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों के शुभ संदेश दिए गए हैं । कुछ शुभ संदेशों में महानुभावों ने बचपन के दिनों में भारत समाज पूजा में भाग लेने का स्मरण किया है ।थियोसॉफिकल सोसायटी वाराणसी पूर्व महासचिव इंडियन सैक्शन श्री एस. सुंदरम ने लिखा है :” बचपन से देखता रहा हूं कि सोसाइटी के भारतीय शाखा के मुख्यालय वाराणसी में प्रतिदिन प्रातः यह पूजा होती रही है”( प्रष्ठ 6)
“भारत समाज पूजा का अंतर्बोध ” विषय पर मनोरमा सक्सेना मुंबई का भी एक सुंदर लेख है। आप ने लिखा है :-“सनातन धर्म को एक सूत्र में संगठित करके थियोसॉफिकल सोसायटी के माध्यम से एक भारतीय समाज पूजा विधान बनाया । जिसमें इस प्राचीन धर्म की सब मुख्य मान्यताओं से संबंधित वेदमंत्रों को संकलित किया और सभी देवताओं का आह्वान करने और उसकी विधिवत पूजा की व्यवस्था की।”( प्रष्ठ 12 )
“भारत समाज पूजा शताब्दी नमन” शीर्षक से श्रीमती ज्ञान कुमारी अजीत का लेख बहुत मूल्यवान है ।आपको सोसाइटी की गतिविधियों का लंबा अनुभव जान पड़ता है। आप लिखती हैं :-” वाराणसी में थियोसॉफिकल सोसायटी परिसर में शिव मंदिर के सामने भारत समाज पूजा मंदिर की स्थापना हुई । मैंने इस मंदिर को बनते हुए अपने बचपन में देखा । वाराणसी का मंदिर बहुत ही भव्य है । वहां मंदिर में जाने के लिए एक पतला रास्ता है सुबह छह बजे ही मंदिर में लगी घंटियां बजने लगती हैं। टन टन टन । इसकी आवाज पूरे परिसर में सुनाई देती है । लोग मंदिर में पहुंचने के लिए तैयार हो जाते हैं । यह व्यवस्था रोहित मेहता जी के समय में शुरू हुई थी। घंटे की ध्वनि सुनते ही हम मंदिर की ओर चल पड़ते थे।” ज्ञान कुमारी अजीत जी के अनुसार वह 1953 दिसंबर में वाराणसी पूजा की स्मृतियों को लेकर इलाहाबाद आईं। वहां का अनुभव वह इस प्रकार वर्णित करती हैं :-“यहां मंदिर तो नहीं परंतु एक कक्ष था। जिसे महिला धर्म लॉज की सदस्यों ने अपने घरेलू खर्चे से बचत करके पूजा कक्ष बनवाया था । मैं पूजा वाले दिन वहां अवश्य जाती थी ।श्रीमती कुँवर तैमिनी ने इलाहाबाद में भारत समाज पूजा की स्थापना की थी । 1940 से अब तक यह पूजा यहां संचालित है । मैं बराबर उनके साथ पूजा करवाती थी । तब से अब तक भारत समाज पूजा से मेरा संबंध बना हुआ है।( प्रष्ठ 16 – 17 )
भारत समाज पूजा की यादों को लिपिबद्ध करते समय वह एनी बेसेंट को याद करना नहीं भूलतीं। लिखती हैं :-“एनी बेसेंट ने भारत को उसकी आजादी ,शिक्षा ,समाज सेवा ,प्राचीन संस्कृति के साथ भारत समाज पूजा का जो उपहार दिया वह अविस्मरणीय है ।”(पृष्ठ अट्ठारह)
पत्रिका में “भारतीय संस्कृति में पंच महायज्ञ” लेखिका प्रोफेसर गीता देवी ,”मंत्रों की शक्ति” लेखिका दीपाली श्रीवास्तव इलाहाबाद तथा “मंत्र का अर्थ एवं मानव जीवन पर मंत्रों का प्रभाव” लेखिका डॉ प्रमा द्विवेदी असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत उल्लेखनीय कहे जा सकते हैं।
डॉक्टर शारदा चरण (पटना, बिहार )का थिऑसोफिकल सार्वभौम प्रार्थना का हिंदी भाषांतर शोधकर्ताओं के लिए बहुत उपयोगी है । आपने एक-एक शब्द की व्याख्या करते हुए अंग्रेजी में लिखी गई यूनिवर्सल प्रेयर का अक्षरशः शुद्ध हिंदी अनुवाद सोसाइटी के हिंदी भाषी सदस्यों के सामने रखा है ,जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है । सटीक और तर्कसंगत अनुवाद कम ही मिलते हैं । आपके द्वारा किए गए हिंदी अर्थ को पढ़कर मैंने यूनिवर्सल प्रेयर का काव्यमय रूपांतरण किया जो इस प्रकार है :-
जीवन-तत्व (मुक्तक)*
■■■■■■■■■■■■
जीवन-तत्व निहित हर कण-कण में कंपनमय पाते
हर प्राणी को वह अदृश्य निज आभा से चमकाते
प्रेमरुप एकात्म – भाव वह एकाकारी अनुभव
वह सब में , सब उसमें ज्ञानी कहते नहीं अघाते

डॉक्टर सुषमा श्रीवास्तव ने जीवन एक तीर्थ यात्रा है” शीर्षक से संपादकीय में बिल्कुल सही लिखा है कि:-” मनुष्य की यह तीर्थ यात्रा बहिर्गामी ना होकर अंतरगामी है। जिसमें उसे अपने शारीरिक ,भावनात्मक, मानसिक बौद्धिक शरीर को शुद्ध करके आत्मा पर पड़े आवरण को हटाना है ।”(पृष्ठ 10-11)
पत्रिका में थियोसॉफिकल सोसायटी की विभिन्न गतिविधियों के समाचार दिए गए हैं। सोसायटी के उद्देश्यों को समझने की दृष्टि से पत्रिका बहुत उपयोगी है । पत्रिका का शीर्ष वाक्य “राष्ट्रभाषा हिंदी की प्रतिनिधि थियोसॉफिकल पत्रिका” सही लिखा गया है। सचमुच पत्रिकाओं का प्रकाशन एक कठिन कार्य है । जो महानुभाव इस कार्य को कर पा रहे हैं ,उनकी लगन और मेहनत सब प्रकार से प्रशंसा के योग्य है। छपाई निर्दोष है तथा कवर बहुत आकर्षक है।

1 Like · 1030 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
ख़ान इशरत परवेज़
भाव तब होता प्रखर है
भाव तब होता प्रखर है
Dr. Meenakshi Sharma
उसकी जरूरत तक मैं उसकी ज़रुरत बनी रहीं !
उसकी जरूरत तक मैं उसकी ज़रुरत बनी रहीं !
Dr Manju Saini
*┄┅════❁ 卐ॐ卐 ❁════┅┄​*
*┄┅════❁ 卐ॐ卐 ❁════┅┄​*
Satyaveer vaishnav
*मस्ती भीतर की खुशी, मस्ती है अनमोल (कुंडलिया)*
*मस्ती भीतर की खुशी, मस्ती है अनमोल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
गीत-1 (स्वामी विवेकानंद जी)
गीत-1 (स्वामी विवेकानंद जी)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हिन्द के बेटे
हिन्द के बेटे
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"हँसता था पहाड़"
Dr. Kishan tandon kranti
तू कहीं दूर भी मुस्करा दे अगर,
तू कहीं दूर भी मुस्करा दे अगर,
Satish Srijan
💐प्रेम कौतुक-355💐
💐प्रेम कौतुक-355💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जीवन में ईनाम नहीं स्थान बड़ा है नहीं तो वैसे नोबेल , रैमेन
जीवन में ईनाम नहीं स्थान बड़ा है नहीं तो वैसे नोबेल , रैमेन
Rj Anand Prajapati
फिर से अरमान कोई क़त्ल हुआ है मेरा
फिर से अरमान कोई क़त्ल हुआ है मेरा
Anis Shah
एक सख्सियत है दिल में जो वर्षों से बसी है
एक सख्सियत है दिल में जो वर्षों से बसी है
हरवंश हृदय
**प्यार भरा पैगाम लिखूँ मैं **
**प्यार भरा पैगाम लिखूँ मैं **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बाल कविता: मदारी का खेल
बाल कविता: मदारी का खेल
Rajesh Kumar Arjun
हे आशुतोष !
हे आशुतोष !
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Life is a rain
Life is a rain
Ankita Patel
चुनावी रिश्ता
चुनावी रिश्ता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
’वागर्थ’ अप्रैल, 2018 अंक में ’नई सदी में युवाओं की कविता’ पर साक्षात्कार / MUSAFIR BAITHA
’वागर्थ’ अप्रैल, 2018 अंक में ’नई सदी में युवाओं की कविता’ पर साक्षात्कार / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
✍🏻 ■ रसमय दोहे...【रस परिभाषा】
✍🏻 ■ रसमय दोहे...【रस परिभाषा】
*Author प्रणय प्रभात*
भजन - माॅं नर्मदा का
भजन - माॅं नर्मदा का
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मेनाद
मेनाद
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कविता
कविता
Shiva Awasthi
प्रबुद्ध लोग -
प्रबुद्ध लोग -
Raju Gajbhiye
ध्यान-उपवास-साधना, स्व अवलोकन कार्य।
ध्यान-उपवास-साधना, स्व अवलोकन कार्य।
डॉ.सीमा अग्रवाल
गरीबी की उन दिनों में ,
गरीबी की उन दिनों में ,
Yogendra Chaturwedi
अन्हारक दीप
अन्हारक दीप
Acharya Rama Nand Mandal
"नींद की तलाश"
Pushpraj Anant
धर्म के रचैया श्याम,नाग के नथैया श्याम
धर्म के रचैया श्याम,नाग के नथैया श्याम
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...