अधूरेपन की संतुष्टि
ज़रूरी है
प्रेम में
वियोग के क्षण ?
क्या इसके बिना
प्रेम पूर्ण नही ?
ऐसा है तो
नही चाहिए सम्पूर्णता
इस पूर्णता से
रूष्ट हैं
हम संयोग भरे
अधूरेपन में ही
संतुष्ट हैं ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 23 – 06 – 1992 )