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31 Aug 2024 · 1 min read

अधूरा नहीं

अधूरा नहीं

अधूरा नहीं पूर करना प्रिये।
गली से नहीं दूर रहना प्रिये।
तुम्हारी मुलाकात में रस भरा।
तुझे देखकर मन हमेशा हरा।
तुम्हीं एक मेरे सितारे सदा।
परम दिव्य भाग्यम बहारें बदा।
मिला कर सदा प्रिय यही याचना।
न छोड़ो कभी साथ है अर्चना।
रहेंगे सदा संग साथी बनो।
न सोचो कभी कुछ इसे बस चुनो।
सदा प्यार का यह सुहाना जहां।
तुझे देखता मन यहाँ भी वहां।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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