अधिकार
आसमान को छत समझकर
फुटपाथ को बिस्तर सा सजाकर
लोग जो बस रहे हैं जहाँ में ,
अरमान उनके भी है दिलो में
आहट उनके भी है कदमों में,
नहीं वह कोई कंकर-पत्थर
जिसे तुम फेंक दो
सड़क से उठाकर,
यह धरती उनकी भी है
हक बराबर उनकी भी है,
जीने दो उनको अपनी जिंदगी
न छीनो उनसे अधिकार उनकी ।