अत्याचारी
अत्याचारी!तुम लाख करो अत्याचार
नहीं टूटेगी हमारी सहने की डोर,
हमारे खुन का एक कतरा भी
तुम्हारे खिलाफ नहीं मचाएगा शोर ।
अत्याचारी!चाहे जितना भी हो कठोर
प्यार-जज्बात नहीं आँखों में तुम्हारी,
फिर भी हमे विश्वास है पुरी
करेंगे एक दिन चूर अहम तुम्हारी ।
अत्याचारी!खत्म करो अब अत्याचार
बन जाओ इंसान फिर एक बार,
आओ मिलजुलकर हम सजाएँ
शांतिमय एक नया संसार ।