अतीत
किसका नहीं
अतीत जगत में
अतीत तो है सदा का मीत
चाहे जग से
छुड़ा लो पीछा
या तुम भागो वर्तमान से
पर न कभी
मुक्ति पा सकते
तुम अपने अतीत से।
अतीत होता स्वर्णिम
या होता
कभी-कभी
कलुषित तिक्त
यादों से भरा
होता है अतीत सभी का
यदि अतीत की यादें न हों
तो मानव मिट ही जाता
कभी का
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें
मन को उलझाती हैं
इसी अतीत की डोर
संग खिंच कर
तमाम जिन्दगी
यूँ ही गुजर जाती है।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्वरचित व मौलिक
रचना
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