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22 Dec 2022 · 1 min read

अति

खान पान और रहन सहन की मर्यादा होती है
टूट जाती हैं मर्यादाएं, जहां अति होती है
सीमित मात्रा में सेवन, हितकर शरीर को होता है
असीमित और अति सेवन से, जीवन का क्षय होता है
मर्यादित आचरण खान पान, अमृत समान बन जाते हैं
अमर्यादित व्यवहार अति, जीवन को जहर बनाते हैं
जीवन के हर क्षेत्र में,अति कष्टदायक है
मर्यादित आचरण रहन सहन, जीवन में सुख दायक है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

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