वीर दुर्गादास राठौड़ अड़ीखंभ ऊभौ रयौ, राखण रजवट रीत। कमधज दुरगादास रा, ऊजळ जुग मे गीत।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया…✍️