अट भी पट भी भक्तों की….कडी नंबर एक
किसी ने सही कहा है.
*जनता जैसा राज यानि सत्ता चाहती है.
वैसा ही शासन राज करता है,*
विपीन एक बात बार-बार कहे जा रहा था,
जैसे उसे बहम ही हो चुका हो.
रोज रोज हररोज़ वही बातें.
वो घटनाएं घटने से पहले ही बता देता.
जैसे उसे सब मालूम हो.
उसकी बातें मुझसे ठीक भी लगी,
और मैंने उसको समर्थन देना शुरू कर दिया.
बातें चाहे महंगाई की हो.
वह सही प्रतीत हुआ.
उसने कहा अधिक जनसंख्या जो हमारी ताकत है, आज कमजोरी दिखाया और बताया जा रहा है, किसान/मजदूर/खेती/यातायात/दूरसंचार जैसे एक गृहस्थी की पकड से बाहर होते जा रहे हो.
उसे थोडे तसल्ली मिलने लगी,
जब से मेरे और उसके बीच वार्तालाप हुई.
लह कहने लगा,
जिस देश की जनता ही परेशान हो.
तो कैसा लोकतंत्र.
मैंने कहा.
लोकतंत्र में पार्टियां सीधे रास्ते खोजते है.
और साथ में जमीर बेचकर निज फायदे खोजते है, तो इससे जनता को अंजान रखे जाता है.
कुछ पार्टियां फंड बढाने के चक्कर में बिक जाती हैं,
और उम्मीदवार तो …भले क्यों शब्द दें
जुबान खराब करने को.
खैर विपीन हम कर क्या सकते हैं,
परिवार/समाज/देश को उठाने के लिए.
वह अब सब समझ चुका था.
अगली… कडी में…
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस