अज्ञानता
राम के मर्यादा पालन के कर्तव्य को
ना समझ सके,
कृष्ण के कर्म के उपदेश को
ना जान सके ,
राम को धर्म विशेष से परिभाषित
करते रहे ,
कृष्ण के न्याय संगत निर्वाह को विसंगत
कहते रहे ,
यथार्थ एवं मिथ्या के भेद को
ना स्पष्ट कर सके,
कुतर्क से सत्य को असत्य सिद्ध करने
का प्रयत्न करते रहे ,
पूर्वाग्रह एवं घृणा से मन को
कलुषित करते रहे ,
संवेदनहीनता एवं उदासीनता से मानवता को कलंकित करते रहे ,
धारणाओं एवं कल्पनाओं के व्योम में
विचरण करते रहे ,
छद्म एवं भ्रम के कृत्रिम मायाजाल में
उलझते रहे ,
हर्ष और विषाद के भवसागर में
डूबते उबरते रहे ,
अंतर्ज्ञान के अभाव में स्व एवं अहं के
अंतर से अनभिज्ञ रहे ,
जीवन संघर्ष में कर्तव्य, त्याग एवं बलिदान के तत्वज्ञान से वंचित रहे ,
सार्थक जीवन निर्वाह महत्व के सर्वदा अज्ञानी रहे ।