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6 Aug 2022 · 1 min read

अजीब दौर से गुज़र रही ज़िंदगी,

अजीब दौर से गुज़र रही ज़िंदगी,
न दिल का पता न सांसो का,
समझ लो सिर्फ इतना ही,
समुंदर उफान पर है इन आँखों का।

✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी

5 Likes · 4 Comments · 108 Views
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