अजब मसअ’ला, ख़्वाब में पेश आया
अजब मसअ’ला, ख़्वाब में पेश आया
बना के गदागर* का, मैं वेश आया
जगह दो उसे दिल के, कोने में यारो!
कोई राह भूला, जो परदेश आया
चले आये फिर, ख़्वाब में रू-ब-रू वो
अजब वाकया, आज दरपेश आया
कि सदका उतारे, सितारे भी तेरा
तुझे चाहने मैं, खुले केश आया
जिसे सुनके हैरान हैं, लोग सारे
तसव्वुर में परियों का, सन्देश आया
‘महावीर’ क्यों, उम्रभर आप रोये
लगी ठेस दिल को, न सन्देश आया
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*गदागर—भिखारी, भिक्षुक