अजनबी जैसा हमसे
अजनबी जैसा हम से मिलता है।
दर्द आँखों से तब पिघलता है ।।
जान जाती है उस के जाने से ।
ख़्वाहिशों का भी दम निकलता है ।।
टूटता है यकीन खुद पर से ।
कोई मौसम सा जब बदलता है।।
कैसे पहुँचेगा एक मंज़िल पर ।
रास्ते बारहा बदलता है ।।
कोशिशों पर यकीं करो अपनी ।
मुश्किलों का भी हल निकलता है ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद