अच्छे ख़्वाब
ख़्वाब हमेशा अच्छे बुनना
राहें अपनी खुद ही चुनना
बन जा धुन में मगन कबीरा
बात मगर तू सबकी सुनना
दुनिया के जो मन को मोहे
प्रीत के धागे ऐसे बुनना
बाद में फूल गिराना साहब
काँटे पहले सारे चुनना
अच्छी ग़ज़लें सुननी हो तो
तुम मीरो-ग़ालिब को सुनना