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28 Aug 2021 · 3 min read

अच्छा लिसन। मैं अपना कल्चर लैंसडौन में भूल आई हूँ।

अच्छा लिसन, मैं अपना क्लचर लैंसडौन में भूल आई हूं!
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पहाड़ पर बना वो शहर था, जिसके पंख गल गए थे।
और वो इसलिए कि उसके पंख नमक से बने थे और ये अगस्त का महीना था। बुरान्स की टहनियों तक बादल उतर आए थे और पूर्व दिशा में स्याही का एक फ़ाहा चू रहा था।
गले हुए पंखों वाला शहर पहाड़ पर किसी नगीने की तरह चमक रहा था, रिबन जैसी सड़कें उसे जैसे तैसे दूसरी बस्तियों से बांधे हुए थीं।
उसी शहर में गई थीं तुम, सन् अठारह सौ अट्ठासी में जिसको एक फ़िरंगी अफ़सर ने कैंटोनमेंट टाउन की तरह बसाया था। उसी लाटसाहब के नाम पर शहर का नाम भी रख दिया गया था : लैंसडौन।
और उसकी मैम साहब के लिए कोटद्वार के मेहनतक़शों ने बर्फबारी में भी स्वेद बहाकर बनाया था गोथि‍क शैली में सेंट मैरी का वह कैथेड्रल, जिसमें बलूत की लकड़ियों के दरवाज़े पर दाहिनी ओर अपनी बांह टिकाकर खड़ी थीं तुम।
और तुम्हारे निर्बन्ध बाल लहरा रहे थे उस हवा में, जिसमें हिम का शीत।
मैंने उससे कहा कि “तुमने बाज़ी मार ली। कितनी मुद्दत से मेरी ख़ाहिश थी कि लैंसडौन के सेंट मैरी चर्च में जाकर बलूत की उस गंध को अनुभव करना है। और उसकी उस बड़ी सी हरी आंख को देर तक निहारना है, जो ऑवेर के गिरजे की नारंगी छतों को मुंह चिढ़ाती है।”
उसने अपनी मुस्कराहट के तरन्नुम में कहा, “ठीक है, तुम अब चले जाना और मुझसे विपरीत दिशा में बाईं ओर खड़े हो जाना।”
और तब मुझको लगा कि शायद वो अपनी ग़ैरमौजूदगी को भी मुझसे बचा ले जाना चाहती थी, जबकि मैं उसकी ग़ैरमौजूदगी को छूने के लिए ही लैंसडौनजाना चाहता था।
मैंने उससे कहा, “तुम्हारे खुले हुए बाल जब हवा में लहराते हैं तो सहसा तुम एक बड़ी लड़की सी लगने लगती हो।”
उसने कहा, “ऊप्स, मैं अपना क्लचर तो लैंसडौन में ही भूल आई!”
फिर जैसे एक आईविन्क के साथ बोली, “जब तुम जाओगे तो लेते आना। डार्क ब्राउन कलर की हेयरक्ल‍िप है, ये देखो फ़ोटो!”
और तब मुझे लगा कि वो शहर ही पहाड़ के बालों में किसी क्लचर की तरह खोंसा गया है, काश कि मैं पूरे का पूरा लैंसडौन ही उसके लिए ले आता!
दिल्ली की उमस में इससे बेहतर तोहफ़ा और क्या हो सकता था कि वो अमेज़ॉन का गिफ़्ट पैक खोलती और उसमें लैंसडौन का क्लचर देखकर चौंक जाती। वह “वॉव” बोलती और उसके होंठ गोल घूमकर छल्ला बन जाते। गर्दन पर मौजूद तिल को छांह में छुपाते हुए।
और तब मैंने सोचा कि नमक के शहर से लौटकर आई उस लड़की के होंठों पर अभी नमक की कितनी गाढ़ी परत होगी। मैं एक बार उसके खारेपन को अपनी जीभ से चखना चाहता था!
उसने कहा “सो डन, तुम मेरा क्लचर लेकर आओगे” और मैंने कहा, “हां, लेकिन अगर तुमने यह बात किसी और को बताई तो वह क्लचर खो जाएगा। क्योंकि जिन चीज़ों के बारे में बहुत बातें की जाती हैं, वे चीज़ें बहुत ज़ाहिर हो जाती हैं और देर-सबेर चोरी चली जाती हैं। इसलिए यह एक राज़ रहे!”
उसने कहा, “ठीक है, और तुम? तुम तो किसी को नहीं बताओगे ना!”
मैंने कहा, “मैं तोमाश की तरह अपने मुंह को भींचकर बंद कर लूंगा, क्योंकि तोमाश को लगता था कि अगर उसने कुछ कहा तो उसके मुंह से सोने की कनी चांदी के बेसिन में गिर जाएगा और खन्न सी एक धात्विक ध्वनि इन्सब्रुक की टैवर्न में खनखनाकर गूंज उठेगी!”
जैसे कि वो क्लचर सोने का बना हो। वैसे भी लड़कियों द्वारा पहने जाने वाले तमाम ज़ेवरों में से क्लचर मेरा सबसे पसंदीदा ज़ेवर है!
और तब मैंने सुनी उसकी हंसी की चमकीली ध्वनि, जिसका प्रतिबिम्ब पहाड़ पर किसी नगीने की तरह चमकते उस शहर की शीशे की खिड़कियों पर तैर गया।
और मैंने हथेली बढ़ाकर ढांप दिया उस कौंध को ताकि दुनिया की नज़रों से छुपा सकूं उसका वो डार्क ब्राउन क्लचर!

Language: Hindi
Tag: लेख
200 Views
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