अगर फैसला मैं यह कर लूं
अगर फैसला मैं यह कर लूं ,कुछ मत कहना तुम मुझसे।
यह सोचना फिर तुम भी जरा,क्यों यह हुआ अब मुझसे।।
अगर फैसला मैं यह कर लूं ————————–।।
मुझको मोहब्बत तुमसे बहुत थी, हुई मगर यह कैसे।
बढ़ती गई तुमसे नजदीकी, क्यों मोड़ आया फिर ऐसे।।
मुझको समझना नहीं दोषी तुम,हो जाऊं गर मैं दूर तुमसे।
अगर फैसला मैं यह कर लूं———————-।।
तुमने वफ़ा क्या मुझसे की थी,आज खता क्या हुई है।
तुमको भी है मालूम सब कुछ,नजरें क्यों झुकी हुई है।।
मत मानना तुम कल को बुरा,पर्दा हटा दूँ यदि मैं तुमसे।
अगर फैसला मैं यह कर लूं———————-।।
क्यों तुमको सीने से लगाया, ऑंसू बहाये क्यों तेरे लिए।
क्यों तुमपे खुशियां लुटाई, तोड़े क्यों रिश्तें तुम्हारे लिए।।
गुमराह मुझको कहना नहीं,अगर तोड़ दूँ मैं इकरार तुमसे।
अगर फैसला मैं यह कर लूं———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)