अखबार में पढ़िए (हिंदी गजल/गीतिका)
अखबार में पढ़िए (हिंदी गजल/गीतिका)
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किसी को जानना है तो, नहीं अखबार में पढ़िए
रहें कुछ देर उसके साथ, फिर व्यवहार में पढ़िए(1)
नगद में जो भी मिल जाए, नफा उस ही को कहते हैं
उधारी का बहीखाता, पड़ा मँझधार में पढ़िए(2)
बना रहता है कोल्हू-बैल- जैसा आदमी हर दिन
हँसी सुख-चैन के दो चार, पल इतवार में पढ़िए (3)
बड़ी अच्छी गुजर जाएगी, जग नश्वर अगर समझा
झगड़ना है जो जीवन-भर, तो फिर अधिकार में पढ़िए (4)
यहाँ मिलता है मिड-डे-मील, स्वेटर मुफ्त में पहनें
पढ़ाई के सिवा सारा ही कुछ सरकार में पढ़िए(5)
मिला करते हैं रेडीमेड कपड़े तो दुकानों में
किसी की खासियत, उसके निजी संस्कार में पढ़िए (6)
किसी की असलियत को जानने का यह तरीका है
लगाकर उसका अंगूठा उसे आधार में पढ़िए(7)
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451