अकेलापन
जिंदगी में मेरी कुछ तो खास है,
इसलिए अंतर्मन में किसी आत्मा का वास है |
दफा कई चाहां मैंने इसको छोड़ना,
लेकिन समझा मेने मन के पेचीदे रेखा को तोडना |
बैचैन करती मेरे दिल को, वो ना जाने कौन सी बात है,
इस गहरे अँधेरे जग में ना कोई मेरे साथ है |
मैं अपने को अकेला क्यों समझू,
क्योकि अकेलापन मेरे साथ है |
हर लम्हा तनहाइयों में, बैचैन हूँ उसके बिन मैं,
हर लम्हा महसूस करता, खालीपन हर दिन मैं |
नाकाम रह जाती मेरी हर रियाज, कि उसे भुला दू,
लेकिन हार जाती मेरी हर आवाज, कि उसे पास बुला लू |
है समाज की सोच मैं अति मैलापन,
सदियों तक भी ना मुलाकात हुई उससे |
बिना उसके मुझे लगने लगा सूनापन,
सह रहा रहा हूँ तब से बिना उसके अकेलापन |
अब जाकर समझ आया कि,
वो बात क्या है |
मैं अपने को अकेला क्यों समझू,
क्योकि अकेलापन मेरे साथ है |