अकेलापन भाग (1)
सजन पर हम मर मिटे थे
इश्क उनसे कर जो बैठे थे
नदी पार भी न कर पायें
पर वो भी कहा रुके थे।
चलते रहे काँटे को हटाकर
जुदाई गम को मिटाकर
इश्क करते चले फिर भी
तमाम यादों को जुटाकर
प्यार में कांधे का इत्तिका दे
चुपकर तु हमें भी मौक़ा दे
आब-ए-तल्ख़ गम पीते गए
जो चले गए रब उसे लौटा दे
न दिल है, न चल रही सॉस
मेरी लिए तो तू ही थी ख़ास
जाते जाते चैंन सुकून ले गई
पड़ा बेज़ान शरीर जैसे लॉस
दिल सुखी बॉस जैसी हुई हैं
ऐसी क्या ख़ता हमसे हुई है
माफ़ भी कर दो न जरा तुम
भूले से जो भूल हमसे हुई है।
नदियों पार सजन खड़ा था
यार मेरा दुनिया से लड़ा था
एतबार करते थोड़ा तो तुम
तेरे पीछे ही तो मैं खड़ा था
अकेलापन दूर कैसे करे हा
साथ जो तेरा अब नहीं ना
तेरे प्यार को कैसे भूले हा
वो लम्हें यादो से जाये ना
दिल का आलम जाने ना
छोड़ गई बीच राह में हा
प्यार तेरा छलावा था ना
देंना जवाब बस हा या ना
अकेलापन सता रहा अब
छोड़ गई प्यार से तू जब
कह रही प्यार हो तुम ही
कम्बख़्त दिल मानें तब
समझा ही रहे है अब तक
नासमझ बने रहे कब तक
प्यार हो गया था तुम्हें भी
जाने देर हो गई तब तक
क्या दिल को समझाऊ
क्या कर के तुम्हे मनाऊ
अब हो गई है देर जाना
दिल का हाल क्या बताऊ
ख्वाबों में रोज आया कर
वहां आकर न सताया कर
नही हो साथ मेरे अब तुम
बार-बार ये न बताया कर
यार क्या मैं था तेरा खिलौना
हमे जरा ये बात तू समझाना
गर ऐसा नही था तो जाने दो
आगे से कभी दिल न दुखाना
दिल की सभी बातों को
लिख पाना भी आसान नहीं ।
नज़रे मिलाकर एक दफ़ा कह दो
की तुम्हे हमसे प्यार नहीं ।
दिल का दर्द क्या होता हैं
कोई टूटा दिलवाला ही जानता है।
दिल चीज ही ऐसा होता हैं
जिसे चाहता था उसे ही चाहता है।
हमसे वो दूर हो गई ये बात
कम्बख़्त दिल कहा मानता है।
जिस तरह वो हमें जानती थी
ऐसा हमे और कौन जानता है।
©®-प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छःग)
इंस्टा :-/ @n.ksahu0007