Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jul 2021 · 5 min read

अंबर किसान

अंबर किसान

एक ग्राम में अंबर नामक कृषक रहता था ।उसकी पचास बीघा कृषि फसल से लह लहा रही थी। अंबर जब उपज देखता ,फूला नहीं समाता, किंतु,विधि की मार पड़ना बाकी थी।

” कृषक का भाग्य और मौसम का व्यवहार दोनों भाग्य भरोसे होता है”।

हमारे देश में जब कोरोना की मार पड़ी, तब ,लाक डाउन की घोषणा हुई।कृषक अपने भाग्य पर हाथ मलता रह गया। पकी हुई गेहूं की बालियां कृषक पर बोझ बनी हुई थी।

अंबर ने सोचा था, इस वर्ष फसल बेचकर कजरी बेटी का ब्याह रचाएंगे। मां के गहने जो उसने खेतों के एवज में गिरवी रखे थे ,मुक्त कराएंगे। पत्नी और बच्चों को नए कपड़े बनवा देंगे। सब योजना धरी की धरी रह गई।

मौसम करवटें बदल रहा था ,कभी उष्मा कभी बदरी ,कृषक के वक्ष पर मूंग दल रही थी। कोरोना की वजह से मजदूर नहीं मिल रहे थे। कभी कभी अंबर सोचता वह और कजरी की मां साथ साथ मिलकर जितना हो सके फसल काट लें, किंतु ,कोरोना क़े भय से सहम जाता ।कहीं कजरी की मां को कुछ हो गया, तो!

ऐसे समय, कजरी की मां उसका साहस बढ़ाती।

कजरी की मां कहती, देखो कजरी के बापू ! तुम हिम्मत ना हारना ,भगवान के घर देर है ,अंधेर नहीं ।तुम हौसला रखो ,सब कुछ ठीक हो जाएगा ।हम और हमारा परिवार मरते दम तक तुम्हारे साथ खड़े हैं ।कहीं कुछ ऐसा वैसा ना कर बैठना ।खाओ हमारी कसम !तुम अपने लिए कोई गलत कदम नहीं उठाओगे ।
कजरी का बापू ,सहमति में सिर्फ़ सिर हिलाता, किंतु ,कजरी की मां जोर देते हुए कहती ,ऐसे नहीं ,तुम हमारे सर पर हाथ रखकर कसम खाओ।

विवश होकर अंबर उसके सिर की कसम खाता। उसका हृदय भर आया। उसी समय कजरी पानी का गिलास लिए, उसके पास आ खड़ी हुई।

बापू, पानी पी लो ,

अंबर ने कजरी की तरफ आशा भरी नेत्रों से देखा ,और ,चुपचाप पानी का गिलास थाम लिया ।

उसी कोरोना काल में मजदूरों का शहर से पलायन आरंभ हो चुका था। मजदूर, काम के अभाव में बेरोजगारी और भूख से लड़ रहे थे। उन्होंने पैदल यात्रा प्रारंभ कर दी थी ।सरकार ने रहम दिखाया, मजदूर स्पेशल रेल चलाने के साथ-साथ ,ग्राम के बाहर एकांतवास की व्यवस्था कर दी गयी। उससे न केवल ग्रामीण परिवार सुरक्षित हुआ ,बल्कि ,संक्रमित मजदूर भी स्वस्थ होकर अपने घरों को वापस लौटने लगे। ग्रामों में, चहल पहल लौट आई थी। अंबर के नेत्रों में आशा की किरण जगमगाने लगी।

मजदूरों की सहायता से अंबर ने फसल की कटाई की। और फसल मंडी में जाने के लिए तैयार थी।

“कहते हैं ,फसल का सही मूल्य मिल जाना ,और साहूकार के हाथों फसल सौंपकर,निश्चिंत होना, वैसे ही है ,जैसे जवान बेटी के हाथ पीले कर विदा कर देना।दोनों में गंगा स्नान का पुण्य फल प्राप्त होता है ।”

अंबर सोचता, कजरी की मां सही कहती थी। “भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं ।”आज वह कर्ज मुक्त हो गया था ।अब उसने कजरी बेटी का ब्याह संपन्न करने की सोची।

सावन का महीना था, मंद मंद बयार बहने लगी थी। कभी-कभी रिमझिम वर्षा से मौसम सुहावना हो जाता, कभी मूसलाधार वर्षा से ग्राम के ताल पोखर भर जाते ।परती पड़े खेत वर्षा जल से भर उठे थे।अन्नदाता का हृदय खुशी से झूम रहा था। अन्नदाता बहुत व्यस्त हो गए। खेतों में धान की रोपाई शुरू हो गई थी ,ग्राम की महिलाएं प्रातः होते ही खेतों में धान रोपना प्रारंभ कर देती ।

मंदिर के चबूतरे पर कामचोर बच्चे ताश के पत्ते फेंटते, और ,समय व्यतीत करते ।अंबर, दबी जुबान में उन्हें कोस कर रह जाता। बिना पैसे, यह बच्चे एक कदम ना उठाते ,और, मजदूरी में जो पैसा मिलता,उसे जुऐं और शराब में उड़ाते थे ।यह ग्रामीण जीवन की अत्यंत दुखद झलकी थी।

सावन माह के तीसरे सप्ताह सावन की तीज का त्योहार पड़ रहा था। महिलाएं अत्यंत उत्सुकता से भगवान भोलेनाथ को भक्तिभाव और कठिन निर्जला व्रत के द्वारा प्रसन्न करना चाहती थी। जिसके फलस्वरूप उनके पति चिरंजीवी रहें, और कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति हो सके ।
कहावत है, इसी दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। उनका स्मरण करने से बड़ा पुण्य फल मिलता है। आज सावन की तीज है।

कजरी की मां शिवा ने अंबर के दीर्घायु होने के लिए निर्जला व्रत रखा था। सुंदर सुशील वर की प्राप्ति हेतु कजरी को व्रत रखने के लिए मना लिया था ।दोनों मां, बेटी उत्सुकता से रात्रि जागरण और बाबा शिव और पार्वती के विवाह गीतों से उनकी आराधना कर रही थी।

आम के बागों में सावन के झूले पड़ चुके थे ।सखी सहेलियां झूला झूल रही थी। वातावरण मोहक हो उठा था। कजरी घर के आंगन में एक मार्मिक गीत गुनगुना रही थी ।जिसे सुन अंबर का हृदय भर आया ।सावन का महीना, कजरी के गीतों से ,सज संवर कर आगे बढ गया।
अंबर,अपनी बेटी के रिश्ते के लिए दूर के ग्राम गया था ।वर शिक्षित होने के साथ-साथ अपने पैरों पर खड़ा हो। कुलीन परिवार का हो। लालच व कोई बुरी आदतों का शिकार ना हो। यह कुछ मामूली सी शर्तें उसने कजरी के विवाह हेतु रखी थी ।उसी के हिसाब से कजरी के सुरक्षित भविष्य हेतु अंबर फूंक फूंक कर कदम उठा रहा था ।उसकी विनम्रता से वर पक्ष अत्यंत प्रभावित हुआ, और कजरी का रिश्ता पक्का हो गया ।अंबर की खुशियों का ठिकाना ना रहा ।

कजरी मन ही मन अपने होने वाले दूल्हे की कल्पना कर पुलकित हो रही थी। कल्पना में, उसका वर सुंदर, सजीला, सबके हृदय को मोहने वाला, आत्मनिर्भर ,कर्मठ व्यक्ति था ।अब उसकी कल्पना साकार होने वाली थी। बाबा भोले की कृपा से उसका विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। अंबर ने बारात के स्वागत सत्कार में कोई कमी ना रखी थी।वर पक्ष की तरफ से दहेज की कोई मांग नहीं थी, परंतु ,अंबर ने अपनी हैसियत से बढ़कर, कजरी की खुशी के लिए जेवर व दान दहेज दिया था ।कजरी विदा हो रही थी । अंबर की आंखें भर आयी।जब ,इस फूल सी बच्ची ने उसके घर में जन्म लिया था, और घर को खुशियों से भर दिया था।

उसने वर वधु को सुंदर भविष्य हेतु ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद देकर विदा किया।

चतुर्मास विदा हो गया था। और ठंडक दस्तक दे रही थी ।

अंबर, खेतों में बांसुरी की धुन छेड़ कर अपनी खुशी को प्रकट कर रहा था।

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,
वरिष्ठ परामर्शदाता,
जिला चिकित्सालय ,सीतापुर।

1 Like · 1 Comment · 416 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-558💐
💐प्रेम कौतुक-558💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जाती नहीं है क्यों, तेरी याद दिल से
जाती नहीं है क्यों, तेरी याद दिल से
gurudeenverma198
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
Kishore Nigam
संघर्षी वृक्ष
संघर्षी वृक्ष
Vikram soni
*आगे जीवन में बढ़े, हुए साठ के पार (कुंडलिया)*
*आगे जीवन में बढ़े, हुए साठ के पार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जनतंत्र
जनतंत्र
अखिलेश 'अखिल'
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
*साथ निभाना साथिया*
*साथ निभाना साथिया*
Harminder Kaur
दिल को लगाया है ,तुझसे सनम ,   रहेंगे जुदा ना ,ना  बिछुड़ेंगे
दिल को लगाया है ,तुझसे सनम , रहेंगे जुदा ना ,ना बिछुड़ेंगे
DrLakshman Jha Parimal
कोरोना :शून्य की ध्वनि
कोरोना :शून्य की ध्वनि
Mahendra singh kiroula
कोई आयत सुनाओ सब्र की क़ुरान से,
कोई आयत सुनाओ सब्र की क़ुरान से,
Vishal babu (vishu)
समाज के बदलते स्वरूप में आप निवेशक, उत्पादक, वितरक, विक्रेता
समाज के बदलते स्वरूप में आप निवेशक, उत्पादक, वितरक, विक्रेता
Sanjay ' शून्य'
=====
=====
AJAY AMITABH SUMAN
"Guidance of Mother Nature"
Manisha Manjari
सिद्धत थी कि ,
सिद्धत थी कि ,
ज्योति
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
Paras Nath Jha
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
ruby kumari
-- अंधभक्ति का चैम्पियन --
-- अंधभक्ति का चैम्पियन --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
दोहा- सरस्वती
दोहा- सरस्वती
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हरमन प्यारा : सतगुरु अर्जुन देव
हरमन प्यारा : सतगुरु अर्जुन देव
Satish Srijan
गर्दिश का माहौल कहां किसी का किरदार बताता है.
गर्दिश का माहौल कहां किसी का किरदार बताता है.
कवि दीपक बवेजा
*ये बिल्कुल मेरी मां जैसी है*
*ये बिल्कुल मेरी मां जैसी है*
Shashi kala vyas
Who is whose best friend
Who is whose best friend
Ankita Patel
The Moon!
The Moon!
Buddha Prakash
मानस हंस छंद
मानस हंस छंद
Subhash Singhai
आंख में बेबस आंसू
आंख में बेबस आंसू
Dr. Rajeev Jain
3089.*पूर्णिका*
3089.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
उस देश के वासी है 🙏
उस देश के वासी है 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
युवा संवाद
युवा संवाद
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
सृष्टि की उत्पत्ति
सृष्टि की उत्पत्ति
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...